बेंगलुरू 03 सितम्बर।चंद्रयान -2 के चंद्रमा लैंडर विक्रम ने आज सवेरे आठ बजकर पचास मिनट पर डि-ऑरबिट प्रक्रिया का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा किया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत लैंडर विक्रम की चंद्रमा की सतह से निकटतम दूरी 104 और अधिकतम 128 किलोमीटर रही। लैंडर को कक्षा से बाहर निकालने और चंद्रमा के करीब ले जाने की डी ऑर्बिट प्रक्रिया कम अवधि की प्रक्रिया है। इसे लैंडर विक्रम के इंजन को चालू करके किया जा रहा है।चन्द्रयान-2 का ऑर्बिटर अपनी कक्षा में स्थिर है और वह एक वर्ष तक चन्द्रमा की परिक्रमा करता रहेगा।
इसरो के अनुसार ऑर्बिटर और लैंडर अलग-अलग कक्षाओं में ठीक ढंग से काम कर रहे हैं।विक्रम को चंद्रमा की सतह के और निकट लाने के लिए कल शाम ऐसी ही एक अंतिम प्रक्रिया होगी। इस मिशन से सात सितम्बर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास विक्रम की सहज लैंडिंग हो सकेगी।लैंडर विक्रम को कल चंद्रयान-2 के ऑरबिटर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया था।
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