कोलकाता 12 जनवरी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा हैं कि युवाओं के एक वर्ग को नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में गुमराह किया जा रहा है, जबकि इस कानून का उद्देश्य नागरिकता देना है, किसी की नागरिकता छीनना नहीं।
श्री मोदी ने रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में एक कार्यक्रम में कहा कि इस कानून से पैदा हुए विवाद के कारण विश्व को पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ प्रताड़ना के बारे में पता चला है।उन्होने कहा कि वह देश के युवाओं विशेषकर पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के युवाओं को बताना चाहते हैं कि नागरिकता प्रदान करने के लिए यह कानून रातों-रात नहीं बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि हम सभी को यह बात पता होनी चाहिए कि विश्व के किसी भी देश का, किसी भी धर्म में आस्था रखने वाला कोई भी व्यक्ति, जो भारत और उसके संविधान में आस्था रखता है वह उचित प्रक्रिया के माध्यम से भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। इसमें कोई समस्या नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने भी धार्मिक आधार पर प्रताडि़त लोगों को भारत की नागरिकता देने का समर्थन किया था और उनकी सरकार केवल स्वतंत्रता सेनानियों की इच्छाओं को पूरा कर रही है।पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों की अलग पहचान और संस्कृति की रक्षा करने का संकल्प व्यक्त किया और जोर देकर कहा कि नए कानून से उनके हितों को नुकसान नहीं पहुंचेगा।
उन्होंने कहा कि इस संशोधित कानून से पूर्वोत्तर की संस्कृति, परंपराओं और जनसांख्यिकी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि विभाजन के बाद पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताडि़त लोगों के लिए नागरिकता कानून में केवल थोड़ा बदलाव किया गया है।