रायपुर 07 मार्च।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम का समुचित क्रियान्वयन उनकी सरकार की प्राथमिकता में है। इसके लिए व्यक्तिगत दावों के अलावा सामुदायिक अधिकारों के प्रकरणों पर भी तेजी से कार्य करने की जरूरत है।
श्री बघेल ने आज राजधानी के ठाकुर प्यारे लाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा में अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस अधिनियम के प्रावधान अनुसूचित जनजाति तथा परंपरागत वन निवासी परिवारों को उनके अधिकार, स्वावलंबन और सम्मान का जीवन दिलाने के लिए हैं। इसके मद्देनजर अधिनियम के प्रावधानों का सही ढंग से क्रियान्वयन कर उन्हें अधिक से अधिक लाभ दिलाना सुनिश्चित करें। इसके लिए प्रदेश में वर्तमान सरकार द्वारा कृत संकल्पित होकर पात्र दावे-दारों को सहजता से जोड़कर लाभ दिलाया जा रहा है।
उन्होने कहा कि प्रदेश में आदिवासी तथा वनवासियों की भलाई के लिए हमारी सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। हमारी मंशा है कि जंगल में रहने वाले आदिवासी और गैर आदिवासी सिर्फ जंगल पर ही निर्भर न रहे, इसके लिए संचालित योजनाओं के माध्यम से उन्हें आजीविका के विभिन्न साधनों से तेजी से जोड़ा जा रहा है। इससे वनों पर दबाव कम होगा और वन तथा पर्यावरण सुरक्षित भी रहेंगे।
उन्होंने बताया कि पहले केवल 8 लघु वनोपजों की खरीदी होती थी, जिसे हमारी सरकार द्वारा ने बढ़ाकर 22 कर दिया है। साथ ही लघु वनोपजों के प्रसंस्करण की सुविधा भी वनवासियों को मुहैया कराई जा रही है। इसके अलावा लोगों को स्वस्थ तथा समृद्ध बनाने के लिए आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र में मलेरिया मुक्त बस्तर कार्यक्रम, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान तथा हाट बाजार क्लीनिक आदि योजनाएं चलाई जा रही है।कार्यक्रम को मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री राजेश तिवारी तथा श्री विनोद वर्मा ने भी संबोधित किया और प्रक्रिया का सरलीकरण तथा सही ढंग से क्रियान्वयन कर पात्र हितग्राहियों को अधिक से अधिक लाभ दिलाए जाने के लिए जोर दिया।
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