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टेस्टिंग लैब स्थापित करने के बारे में उच्च न्यायालय ने कल तक मांगा जवाब

बिलासपुर 20 अप्रैल।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कोरोना संक्रमण की जांच के लिए बिलासपुर में टेस्टिंग लैब स्थापित करने के लिए गत 13 अप्रैल को दिये गये आदेश को गंभीरता से नहीं लेने पर राज्य तथा केन्द्र सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कल तक जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा एवं न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की डबल पीठ ने पिछली सुनवाई में राज्य शासन को बिलासपुर में कोरोना टेस्टिंग लैब की कार्रवाई तीन दिन के भीतर पूरी करने और केन्द्र सरकार को अगले तीन दिन के भीतर सभी क्लीयरेंस देने का निर्देश दिया था। आज राज्य शासन की ओर से यह बताया गया कि लैब स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। शासन द्वारा पर्याप्त कार्रवाई नहीं किये जाने को अदालत ने गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जताई।

पीठ ने कहा कि उसने स्वतः संज्ञान लेकर कोरोना टेस्टिंग लैब बिलासपुर में स्थापित करने का निर्देश दिया था पर विश्वव्यापी महामारी से सम्बन्धित मुद्दे पर सरकार की यह धीमी कार्रवाई अफसोसजनक है। इस मुद्दे पर शासन ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया।पीठ ने इस पर सख्त ऐतराज जताते हुए आज ही प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को एम्स के डायरेक्टर के साथ मीटिंग (वर्चुअल) कर कल मंगलवार को अदालत में जवाब प्रस्तुत करने कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब कल 21 अप्रैल को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से होगी।

पिछली सुनवाई के दौरान पीठ के ध्यान में लाया गया था कि कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए प्रदेश में केवल रायपुर और जगदलपुर में टेस्ट लैब है जबकि छत्तीसगढ़ के आधे हिस्से जिसमें बिलासपुर, रायगढ़, सरगुजा संभाग आते हैं वहां इसकी कोई व्यवस्था नहीं है, जिनसे टेस्ट रिपोर्ट मिलने में देर होती है जिसका असर मरीजों के उपचार में भी पड़ता है।