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धार्मिक परम्परा से निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

(फाइल फोटो)

पुरी 23 जून।धार्मिक परम्परा से भगवान जगन्नाथ,उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के रथ आज गुंडिचा मंदिर पहुंच गए।

रथ यात्रा के इतिहास में पहली बार कोविड-19 महामारी की पाबंदियों की वजह से रथ यात्रा बहुत कम श्रद्धालुओं की मौजूदगी में हुई। ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए जगन्नाथ मंदिर के संचालकों, पुरी जिला प्रशासन, स्वास्थ्य और पुलिस विभाग सहित सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया है।

भगवान के तीन रथ पुरी के गुंडिचा मंदिर पहुंच चुके हैं। भगवान बलभद्र तालध्वज रथ पर पहले पहुंचे। फिर देवी सुभद्रा दर्पदलन और भगवान जगन्नाथ नंदीघोष पर सवार होकर गुंचिडा मंदिर पहुंचे। इससे पहले पुरी गजपति महाराज दिव्यसिंह देब ने तीनों रथों पर छेरा पोंहरा की रस्म निभाई थी। श्रीमंदिर प्रशासन के अनुसार सभी नीतियां निर्धारित समय पर हुई।

कोरोना परीक्षण के बाद जो नेगेटिव पाए गए उन्हीं पुलिस तथा सेवायतों को रथ खींचने की अनुमति दी गई थी। इसके अलावा, पुरी में कर्फ्यू लगाया गया है और शहर के सभी प्रवेश द्वारों को कल रात से सील कर दिया गया है। रथयात्रा 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक तीन देवताओं, भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक यात्रा का प्रतीक है। यह त्योहार जब देवता नौ दिनों के बाद जगन्नाथ मंदिर में वापस जाते हैं तभी समाप्त होता है।