नई दिल्ली 05 अक्टूबर।उच्चतम न्यायालय ने ऐसे प्रश्नों को आज पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सुपुर्द कर दिया कि क्या कोई सरकारी अधिकारी या मंत्री जांच के दौरान किसी संवेदनशील मामले पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा कर सकता है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरीश साल्वे और फाली एस नरिमन ने जो सवाल उठाये हैं, उन्हें एक बड़ी पीठ द्वारा निपटाये जाने की आवश्यकता है।न्यायालय ने बुलंदशहर दुष्कर्म मामले में उत्तरप्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान की विवादास्पद टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए ये विचार व्यक्त किये।
बुलंदशहर के निकट एक राजमार्ग पर पिछले साल जुलाई में एक महिला और उसकी पुत्री से हुए कथित दुष्कर्म पर इस महिला के पति ने याचिका दायर की और इस पर न्यायालय सुनवाई कर रहा था।
उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया मंचों के दुरूपयोग पर चिन्ता व्यक्त की और कहा कि लोगों ने अदालत की कार्यवाही के बारे में भी गलत सूचना प्रसारित की।