नई दिल्ली 14सितम्बर।उच्चतम न्यायालय ने आज अपने उस पिछले आदेश में संशोधन किया, जिसके अंतर्गत दहेज प्रताड़ना की शिकायतों से निपटने के लिए एक समिति बनाने की व्यवस्था है।
शीर्ष न्यायालय ने अपने दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनाए गए पिछले फैसले को संशोधित करते हुए कहा कि दहेज प्रताड़ना के मामले में दंड संबंधी कानून में मौजूद त्रुटियों को संवैधानिक रूप से दूर करने कोई गुंजाइश नहीं है। शीर्ष न्यायालय ने इस संबंध में कई याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए 23 अप्रैल को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया की भारतीय दंड संहिता के अनुसार कार्यवाही करनी होगी। उन्होने बताया कि 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक वेलफेयर कमेटी बनेगी। वो पहले इनक्वायरी करेगी और उसके बाद आई यू अरेस्ट कर सकता है अगर केस बनता है तो।जबकि आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आई यू अरेस्ट कर सकता है। तो जो ये बीच में एक ढाल जो वेलफेयर कमिटी की बनाई थी, उसको आज हटा दिया गया है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का काम कानून की परिभाषा करना है। कानून बनाना नहीं।
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