रायपुर, 09 सितम्बर।छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग अंतर्गत माओवादियों के विरूद्ध की जा रही प्रभावी कार्यवाही के परिणामस्वरूप पिछले आठ माह में 153 से अधिक माओवादियो का शव विभिन्न मुठभेड़ों के पश्चात सुरक्षा बलों द्वारा बरामद किया गया हैं।
पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज सुन्दरराज पी. के अनुसार गत 08 महीनों में बस्तर संभाग के अंतर्गत सुरक्षा बलों द्वारा तेलंगाना राज्य के निवासी माओवादी कैडर सदस्य जोगन्ना, सदस्य रंधीर, सदस्य,कमाण्डर सागर, विनय उर्फ रवि जैसे शीर्ष माओवादी कैडर्स के शव विभिन्न मुठभेड़ के पश्चात बरामद किए गए एवं इस अवधि में महाराष्ट्र राज्य निवासी माओवादी कैडर एसीएम संगीता उर्फ सन्नी तथा उडीसा निवासी लक्ष्मी का भी शव मुठभेड़ के पश्चात बरामद किया गया।
श्री सुन्दरराज पी. द्वारा बताया गया कि प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी सीपीआई माओवादी संगठन द्वारा एक रणनीति के तहत सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान स्थानीय माओवादी कैडर्स को एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते हुये बाहरी राज्य के शीर्ष माओवादी कैडर्स द्वारा मौके का फायदा उठाकर अपनी जान बचाकर भाग जाते हैं। लेकिन हाल-फिलहाल में हुये मुठभेड़ों के दौरान बाहर राज्य के शीर्ष माओवादी कैडर्स की यह रणनीति विफल होते हुये नजर आ रही है।
श्री सुन्दरराज पी. के अनुसार पुलिस को विश्वनीय सूत्रो से मिल रही खुफिया सूचना से यह बात सामने आ रही है कि वर्ष 2024 में तेलंगाना, उड़ीसा, महाराष्ट्र एवं अन्य प्रांत के सीनियर कैडर्स की हो रही र्दुगति को देखते हुये माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व में खलबली मच गई है, जिससे बाहर के माओवादी कैडर्स द्वारा स्थानीय माओवादी कैडर्स के ऊपर संदेह एवं शक करते हुये, उन्हे कई प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिससे माओवादी संगठन में विश्वासघात व विद्रोह की स्थिति निर्मित हो रही है। उपरोक्त परिस्थिति में 06 सितम्बर, 2024 को जिला कांकेर के थाना परतापुर क्षेत्र अंतर्गत मलमपेंटा जंगल में राजनांदगांव-कांकेर डिवीजन के ACM विज्जा मड़काम को उन्हीं के खुद के माओवादी संगठन के नेतेलगू कैडर नेता विजय रेड्डी के ईशारे पर माओवादियों ने संगठन के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाकर हत्या कर दिया गया।
पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि गत दिनों माओवादी संगठन को बस्तर संभाग अंतर्गत दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी इलाका में भारी क्षति उठाना पड़ा है, जिसके कारण प्रतिबंधित एवं गैरकानूनी संगठन अभी दिशा-विहीन एवं नेतृत्व विहीन हो चुका है। बाहरी प्रांत के शीर्ष माओवादी नेतृत्व विगत 30-40 वर्षा से स्थानीय माओवादी कैडर्स को सिर्फ एक मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करते हुये करोड़ों-अरबो रुपयों की लूट-खसोट की गई है। अब स्थानीय माओवादी कैडर्स के सामने बाहरी माओवादी कैडर्स बेनकाब होते जा रहे हैं, जिसके कारण से माओवादियों में आपस में विश्वासघात एवं विद्रोह की स्थिति बढ़ते जा रहा है।