आसपास के दो शहरों के बीच आना-जाना अब बेहद आसान होने वाला है। वंदे भारत की तर्ज पर डिजाइन किया गया भारत की पहली स्वदेसी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन वंदे मेट्रो का इंतजार खत्म होने जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी जन्मतिथि से एक एक दिन पहले 16 सितंबर को भुज एवं अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। स्वदेसी तकनीक से निर्मित यह ट्रेन पूरी तरह वातानुकूलित है। जल्द ही मध्यम दूरी के अन्य शहरों के लिए भी ऐसी ट्रेनें चलाई जाएंगी।
वंदे भारत की तर्ज पर किया गया है निर्माण
वंदे मेट्रो का निर्माण वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की तर्ज पर किया गया है, जिसे लगभग 150 से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो शहरों में आवागमन को आसान करना है। रोजाना आने-जाने वाले नौकरीपेशा लोग, छात्र एवं कारोबारी इस फासले को तीन से चार घंटे में आराम से तय कर सकेंगे।
कुल 12 वातानुकूलित डिब्बे वाली इस ट्रेन की अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रतिघंटा है। पिछले हफ्ते अहमदाबाद-गांधीधाम मार्ग पर इसका परीक्षण किया गया। ट्रायल रन के दौरान ट्रेन की गति 110 किमी प्रतिघंटा तक पहुंच गई। फास्ट ट्रेनों को अहमदाबाद से भुज की यात्रा में लगभग 6.5 घंटे लगते हैं, किंतु वंदे मेट्रो ने 1.5 घंटे कम समय लिया।
12 कोच में 1150 यात्री
वंदे मेट्रो में एक बार में 1,150 यात्रियों के बैठने की क्षमता होगी। मेट्रो ट्रेनों की तरह खड़े होकर भी यात्रा की जा सकती है। इस तरह एक बार में सीटिंग क्षमता से ज्यादा यात्री भी आना-जाना कर सकते हैं। ट्रेन में कई आधुनिक सुविधाएं हैं। माड्यूलर डिजाइन में इजेक्टर-आधारित बायो वैक्यूम टायलेट हैं। दिव्यांगों के लिए दोनों क्षोर पर अनुकूल शौचालय हैं।
बोगियों में एलईडी लाइट की व्यवस्था है। आउटलेट के साथ मोबाइल चार्जिंग साकेट है। मेट्रो की तरह एक कोच से दूसरे में यात्रियों की आवाजाही को आसान बनाया गया है, ताकि अलग-अलग कोच में भीड़ ज्यादा न हो। ट्रेनों को आपस में टक्कर होने से बचाने के लिए कवच प्रणाली लगी हुई है। आग का पता लगाने और उसे बुझाने के लिए एरोसोल प्रणाली भी है।
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