पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि विदेश में रहने वाले व्यक्ति की गवाही केवल भारतीय दूतावास से ही वैध नहीं है, वह वीडियो कॉल से कहीं से भी पेश हो सकता है। हालांकि ऐसा करते हुए भी किसी तरह का डर या दबाव गवाह पर नहीं है, यह सुनिश्चित करना जरूरी है।
नवांशहर निवासी कुलवीर राम ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए उसके खिलाफ गवाह को दूतावास के बजाय सामान्य वीडियो कॉल के माध्यम से गवाही की छूट देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। याची अतिक्रमण और हमले के मामले में आरोपी था।
ट्रायल कोर्ट ने गवाह को माॅडल नियमों के अनुसार दूतावास जाकर वीसी के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया था। बाद में शिकायतकर्ता ने आवेदन दायर कर गवाह दूतावास के माध्यम से बयान दर्ज करवाने में कठिनाई बताते हुए अदालत से व्हाट्सएप या अन्य इलेक्ट्राॅनिक माध्यम से बयान दर्ज करवाने की अनुमति मांगी थी और ट्रायल कोर्ट ने अनुमति दे दी थी।
याची के वकील ने तर्क दिया कि यदि गवाह व्हाट्सएप या किसी अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होता है तो कोई उनका प्रतिरूपण कर सकता है और उन्हें प्रशिक्षित भी किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने अमेरिका में रहने वाले एक गवाह को व्हाट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से ट्रायल कोर्ट में पेश होने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के अनुसार यदि कोई गवाह विदेश में रह रहा है, तो उसे अपना बयान दर्ज कराने के लिए भारतीय दूतावास के माध्यम से उपस्थित होना आवश्यक होता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी गवाह की गवाही का एकमात्र उद्देश्य न्याय के लिए मदद करना होता है और बदले में यह अत्यधिक अनुचित होगा यदि कोर्ट ऐसे गवाहों को अनावश्यक कठिनाइयों डालता है।
हालांकि, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के समय कैमरा कमरे के अधिकांश क्षेत्र को कवर करना चाहिए और यह इस तरह से होना चाहिए कि गवाहों को किसी भी तरह से प्रशिक्षित न किया जा सके। साथ ही उसे किसी भी तरह का डर या दबाव न दिया जाए यह सुनिश्चित होना चाहिए। गवाहों की पहचान उसी व्हाट्सएप नंबर पर उनकी पहचान की जांच करके की जाए।
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