कानपुर: सीएसए में आयोजित किसान मेले में जमुनिया आलू चर्चा का विषय रहा। इसमें आईसीएआर, दिल्ली और केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने विकसित किया है। इसके बीज तीन सालों के भीतर सीएसए से मिलने लगेंगे।
सेहतमंद रहने के लिए चिकित्सक आलू से दूरी बनाने के लिए कहते हैं, लेकिन अब ऐसा आलू तैयार किया गया है, जिसे खाना फायदेमंद होगा। कुफरी की प्रजाति जमुनिया आलू न केवल शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर करेगा, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता और खून बढ़ाएगा। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए) में इस आलू के बीज पर रिसर्च किया जा रहा है। तीन सालों के भीतर इसके बीज सीएसए से मिलने लगेंगे।
एक हेक्टेयर में 320-350 क्विंटल तक पैदावार
सीएसए में आयोजित किसान मेले में मौजूद यह आलू लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। किसी ने इसे चुकंदर तो किसी ने इसे खराब आलू की श्रेणी में डाला, लेकिन जब विशेषज्ञ डॉ. अजय कुमार यादव ने उपलब्धियां बताई तो सभी हैरान रह गए। डॉ. यादव ने बताया कि आलू में जेंट्रोफिन, जिंक, कैरोटीन, एंथोसायनिन पाया जाता है। जो रक्त बढ़ाने का काम करता है।
अरारोट की मात्रा बहुत कम होती है
बैंगनी गूदे वाली आलू की इस किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला ने विकसित किया है। यह पहली बार मेले में आई। मात्र 90 दिनों में तैयार होने वाली इस आलू की उपज क्षमता 320-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। सामान्य आलू के मुकाबले इसमें अरारोट की मात्रा बहुत कम होती है। उन्होंने बताया कि इसके बीज सीएसए में भी तैयार किए जा रहे हैं।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India