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‘मुझे यकीन नहीं था कि मैं…’ शमी ने बताई वापसी की कहानी, फ्लाइंग किस देने का खोला राज

मोहम्मद शमी ने लंबे अंतराल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने के साथ एकबार फिर से अपनी उसी पुरानी लय को हासिल कर लिया है। शमी ने चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले में 5 विकेट लेते हुए जहां कुछ नए रिकॉर्ड बनाए तो उनका फ्लाइंग किस सेलिब्रेशन भी चर्चा का विषय रहा। साथ ही उन्होंने अपने कमबैक स्टोरी का भी खुलासा किया, जब वह चोट की वजह से निराश हो गए थे।

शमी भारत के शानदार वनडे विश्व कप अभियान के स्टार थे, लेकिन उसके बाद 14 महीनों तक वे खेल से दूर रहे। शमी के लिए यह बेहद मुश्किल दौर था। सर्जरी के बाद उन्होंने धीरे-धीरे रिहैब करना शुरू किया और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी और फिर एक रणजी मैच के साथ गेंदबाजी को फिर से धार देने लगे। इंग्लैंड के खिलाफ टी20 और वनडे सीरीज का हिस्सा बने और अब आईसीसी इवेंट में फिर से पुरानी धार के साथ वापसी की है।

बांग्लादेश के खिलाफ लिए पांच विकेट
तेज गेंदबाजी की अगुवाई कर रहे मोहम्मद शमी का बांग्लादेश के खिलाफ मैच में बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला। शमी ने इस मैच में 10 ओवर्स की गेंदबाजी में 53 रन देने के साथ 5 विकेट हासिल किए। इस मुकाबले में शमी ने वनडे में भी अपने 200 विकेट का आंकड़ा पूरा किया।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठा पर्दा
शमी ने मुकाबले के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस राज से पर्दा उठा दिया। शमी ने इस मैच के बाद अपने फ्लाइंग किस सेलिब्रेशन को लेकर बताया कि वह फ्लाइंग किस मेरे पिता के लिए थी। वह मेरे आदर्श हैं, मेहनत मेरी है, दुआ आपकी है और देने वाला ऊपर वाला है।

बता दें कि मोहम्मद शमी के पिता का निधन साल 2017 के जनवरी महीने में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।

सुनाई वापसी की कहानी
मोहम्मद शमी ने बांग्लादेश के खिलाफ भारत के पहले मैच से पहले आईसीसी से कहा, विश्व कप के दौरान शानदार फॉर्म में होने से लेकर अचानक खुद को ऑपरेशन टेबल पर पाना और फिर उस फॉर्म से चोटिल हो जाना, यह सब वाकई बहुत कठिन था। डॉक्टर से मेरा पहला सवाल था कि ‘मैं मैदान पर वापस आने के लिए कितने दिन का समय ले सकता हूं। उन्होंने कहा कि मेरी प्राथमिकता आपको चलना, फिर जॉगिंग और फिर दौड़ना सिखाना है और प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलने के बारे में सोचना अभी भी एक दूर का लक्ष्य है।

मन में उठा था सवाल
शमी ने आगे कहा, मैं हमेशा सोचता था कि मैं कब अपने पैरों को फिर से जमीन पर रख पाऊंगा, जो व्यक्ति लगातार मैदान पर दौड़ने का आदी है, वह अब बैसाखी पर है। मेरे मन में बहुत सारे विचार आते थे। क्या मैं दोबारा ऐसा कर पाऊँगा? क्या मैं बिना लंगड़ाए चल पाऊँगा?