रिपोर्ट के अनुसार, गाजीपुर में कूड़े के पहाड़ की निर्धारित सीमा 40 मीटर थी, जो बढ़कर 60 मीटर हो गया है। रिपोर्ट में उठाई गई गंभीर स्थिति व तथ्यों को देखते हुए एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने एमसीडी को फटकार लगाई।
गाजीपुर डंपिंग यार्ड में कूड़ा निस्तारण की खराब स्थिति पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नाराजगी जताई है। ट्रिब्यूनल ने दिल्ली नगर निगम को समयबद्ध योजना पेश करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश ट्रिब्यूनल द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर अधिवक्ता कात्यायनी की रिपोर्ट के बाद दिए गए।
रिपोर्ट के अनुसार, गाजीपुर में कूड़े के पहाड़ की निर्धारित सीमा 40 मीटर थी, जो बढ़कर 60 मीटर हो गया है। रिपोर्ट में उठाई गई गंभीर स्थिति व तथ्यों को देखते हुए एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने एमसीडी को फटकार लगाई।
एनजीटी ने यह भी निर्देश दिया कि सॉलिड वेस्ट नियमों के तहत अधिकतम अनुमति से अधिक कूड़ा न एकत्रित किया जाए। स्वास्थ्य संबंधी खतरे, सुरक्षा और बार-बार आग लगने की घटनाओं की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए उचित बायोमाइनिंग और प्रबंधन योजना को क्रियान्वित किया जाए। एनजीटी ने एमसीडी को चार सप्ताह के अनुसार उक्त बिंदुओं पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। मामले में आगे की सुनवाई 10 जुलाई को होगी। लैंडफिल साइट पर आग की घटना का स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई याचिका पर एनजीटी सुनवाई कर रही है।
रिपोर्ट में सामने आए अहम तथ्य
वर्ष 2019 में यहां पर 100 लाख मीट्रिक टन कूड़ा था, जोकि अब घटकर 85 लाख मीट्रिक टन हो चुका है। हालांकि, निरीक्षण के दौरान इसका कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं मिला। रिपोर्ट के अनुसार, साइट पर मीथेन वेंट लगाए गए हैं, लेकिन मीथेन को इकट्ठा करने की कोई व्यवस्था नहीं है और इसे हवा में सीधे छोड़ा जा रहा है। लैंडफिल साइट पर पांच एकड़ जमीन को हासिल करने का एमसीडी ने दावा किया था, लेकिन मौके पर इस संबंध में कोर्ट कमिश्नर के सवाल पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि उक्त दावा गलत है और ऐसा प्रतीत होता है कि कोई भूमि वापस हासिल नहीं की गई।
अवैध डंपिंग रोकने के लिए सुरक्षा चौकी स्थापित करने का सुझाव
रिपोर्ट में लैंडफिल साइट पर अवैध डंपिंग रोकने के लिए सुरक्षा चौकी स्थापित करने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही साइड के चारों तरफ की चहारदीवारी को भी मजबूत करने का सुझाव रिपोर्ट में दिया गया। इसके अलावा साइट पर काम करने वाले श्रमिकों के व्यापक जीवन बीमा और नियमित स्वास्थ्य जांच की सिफारिश भी की गई है।
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