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मुंबई: जूनियर छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोपी डॉक्टर को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट का इनकार

बंबई उच्च न्यायालय ने 8 मई को केईएम अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर रवींद्र देवकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अस्पताल में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि देवकर ने उन्हें अनुचित तरीके से छूकर और आपत्तिजनक टिप्पणियां करके परेशान किया। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने छह महिला जूनियर डॉक्टरों से छेड़छाड़ के आरोपी सरकारी केईएम अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर को गिरफ्तारी से पूर्व जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि पीड़ितों को हुई “भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पीड़ा” पर विचार करना जरूरी है।

बंबई उच्च न्यायालय ने 8 मई को केईएम अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर रवींद्र देवकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अस्पताल में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि देवकर ने उन्हें अनुचित तरीके से छूकर और आपत्तिजनक टिप्पणियां करके परेशान किया। न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने कहा कि देवकर अपने प्रभावशाली पद का फायदा उठाकर लंबे समय से अनुचित व्यवहार कर रहे थे।

अदालत ने की ये टिप्पणी
अदालत ने कहा कि अब तक कोई भी वरिष्ठ डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए तैयार नहीं था, क्योंकि वे सदमे में थे और उन्हें डर था कि उनका करियर प्रभावित होगा। पीठ ने कहा कि यदि देवकर को अग्रिम जमानत दी गई तो पूरी संभावना है कि वह सभी शिकायतकर्ता पीड़ितों से बदला लेगा और इस बात की भी पूरी संभावना है कि वह वही कृत्य दोहराएगा।

अदालत ने कहा, “अंततः, हमें उन पीड़ितों को होने वाले भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक नुकसान पर विचार करना होगा जो अपनी मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, और अस्पताल जैसे कार्यस्थल में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, और महिलाओं की गरिमा की नैतिक व कानूनी रूप से रक्षा करने के लिए, वर्तमान अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज किया जाना चाहिए।”

देवकर के खिलाफ भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज
देवकर के खिलाफ भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। मामला दर्ज होने के बाद निलंबित किए गए देवकर ने अपनी याचिका में कहा कि उनके खिलाफ शिकायत व्यक्तिगत द्वेष और अस्पताल की आंतरिक राजनीति का परिणाम है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि देवकर कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न निवारण (संरक्षण, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत अस्पताल की आंतरिक समिति के सदस्य भी थे।

इसमें कहा गया है, “यह एक ऐसा मामला है जिसमें एक डॉक्टर जो पीओएसएच समिति का सदस्य है, के खिलाफ महिला डॉक्टरों के साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप एक नहीं बल्कि छह लोगों ने लगाया है।” अदालत ने टिप्पणी की कि यह पहली बार नहीं है जब देवकर के खिलाफ इस तरह की शिकायत दर्ज की गई है। 2021 में एक महिला डॉक्टर ने भी इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी। न्यायमूर्ति पाटिल ने कहा कि देवकर को निलंबित किया गया है, न कि बर्खास्त किया गया है।

अदालत ने कहा, “इसलिए, यदि वह निलंबन के लिए अपने खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही में सफल होते हैं, तो संभावना है कि वह अस्पताल वापस आ जाएंगे और अपना काम फिर से शुरू कर देंगे।” अदालत ने आगे कहा कि डॉक्टरों के अलावा अब मेडिकल छात्र भी देवकर के खिलाफ अनुचित व्यवहार की शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास आ रहे हैं।

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