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बस्तर के युवाओं में उद्यमिता की लहर आईआईएम और आईआईटी ने दिखाई नई राह

बस्तर, जो कभी नक्सलवाद और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता था, अब वहां के युवा सपनों की उड़ान भरने को तैयार है। दंतेवाड़ा जिले के रोशन मंडावी, रोशनी गुप्ता, स्नेहलता राव और ओम साहू जैसे युवा अब नौकरी के बजाय उद्यमी बनने का ख्वाब देख रहे हैं। इस बदलाव की नींव भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) रायपुर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भिलाई ने रखी हैं। इन संस्थानों ने दंतेवाड़ा के 50 युवाओं को गहन उद्यमिता प्रशिक्षण दिया है, जिससे वे आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

आईआईएम रायपुर अब बस्तर के विकास में सक्रिय भागीदार बन गया है। इस संस्थान ने दंतेवाड़ा के युवाओं को उद्यमिता का दो महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करवाया है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से युवा अब ’99’ और ’49’ स्टोर जैसे अभिनव व्यावसायिक विचारों पर काम कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित करना और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।

बचेली गांव की रोशनी गुप्ता ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि उनके पिता आईसक्रीम और गुपचुप बेचते हैं। आईआईएम के प्रशिक्षण के बाद उनके पास अब एक स्पष्ट व्यावसायिक योजना है। वे ’99’ और ’49’ जैसे स्टोर खोलने जा रही हैं, जिनमें प्लास्टिक, किचन, स्टेशनरी व दैनिक उपयोग की वस्तुएं उपलब्ध होंगी।

उन्होंने बताया, “मैंने यह कांसेप्ट पहले केवल इंटरनेट मीडिया पर देखा था। अब यहां के यूथ हब केंद्र और जिला प्रशासन के मार्गदर्शन से मैं इसे हकीकत में बदलूंगी।” दंतेवाड़ा से 10 किलोमीटर दूर धुरेली गांव के रोशन मंडावी इलेक्ट्रानिक्स सामानों की मार्केटिंग और सर्विसिंग का काम शुरू करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें आईआईएम में इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। आत्मानंद स्कूल से 12वीं पास करने वाले रोशन भी अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य की कल्पना कर रहे हैं।

बिजनेस मैनेजमेंट व मार्केटिंग के गुर सीखे
स्नेहलता राव आईआईएम के इस प्रशिक्षण से बेहद प्रभावित हैं। ग्रेजुएशन तक पढ़ी स्नेहलता यूथ हब केंद्र के माध्यम से आईआईएम पहुंचीं। उन्होंने बताया कि कोर्स के दौरान उन्हें बिजनेस मैनेजमेंट, मार्केटिंग और लेबर ला जैसी कई चीजें सिखाई गईं, जो उन्हें अपने ब्यूटी पार्लर व्यवसाय को सफल बनाने में मदद करेंगी। उनका लक्ष्य है कि वे घर-घर जाकर ब्यूटी पार्लर सेवाएं उपलब्ध कराएं। दंतेवाड़ा के एक डिप्लोमा धारक युवा ओम साहू आईआईएम रायपुर से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अब मिलेट प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। वे मिलेट से विभिन्न उत्पाद बनाकर व्यवसाय करना चाहते हैं।

दीर्घकालिक विकास और ट्राइबल रिसर्च पार्क पर आईआईटी का फोकस
आईआईटी भिलाई दंतेवाड़ा के समग्र विकास में जिला प्रशासन का सहयोगी बन गया है। आईआईटी खनिज न्यास निधि से दंतेवाड़ा को सालाना मिलने वाले लगभग दो सौ करोड़ रुपये के उचित उपयोग और भविष्योन्मुखी योजनाओं पर काम कर रहा है। जिला प्रशासन के अनुसार संस्थान जिले के दीर्घकालिक विकास और स्थानीय जीवन स्तर में सुधार के लिए अपनी विशेषज्ञता साझा कर रहा है। आईआईटी के इंजीनियरों की टीम दंतेवाड़ा में एक ट्राइबल रिसर्च पार्क विकसित करने में भी सहयोग कर रही है।

आईआईटी भिलाई जिले की भविष्य की जरूरतों की योजना बनाने और उनके क्रियान्वयन में सहयोगी है, जबकि आईआईएम रायपुर जिले के युवाओं को भावी उद्यमी बनाने के प्रयासों में साझेदार है।
कुणाल दंडावत, कलेक्टर, दंतेवाड़ा

50 प्रतिभागियों को विश्व प्रसिद्ध गेम मोनोपाली से वित्त और अकाउंटिंग का प्रशिक्षण दिया गया। वहीं उनकी संचार क्षमताओं को विकसित करने के लिए थिएटर ग्रुप की मदद ली गई। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों को अपने-अपने क्षेत्र में उद्यमिता के ध्वजवाहक बनने के सभी गुर सिखाए गए हैं। – प्रो. रामकुमार ककानी, निदेशक, आईआईएम रायपुर

आदिवासी विकास और शोध के लिए आदिवासी शोध संस्थान तैयार किया जा रहा है। युवाओं को स्टार्टअप इकोसिस्टम में सफल बनाने और रोजगार सर्जक तैयार करने के लिए राज्य सरकार के साथ एक नया समझौता भी किया जा रहा है। – राजीव प्रकाश, निदेशक, आईआईटी भिलाई