
नई दिल्ली, 14 अगस्त।उच्चतम न्यायालय ने बिहार के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में निर्वाचन आयोग को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि वह मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की पहचान 19 अगस्त तक सार्वजनिक करे और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने निर्वाचन आयोग से स्पष्ट रूप से पूछा: “आप उन लोगों के नाम क्यों नहीं बता सकते जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जो पलायन कर गए हैं, या जो दूसरे निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानांतरित हो चुके हैं?”न्यायालय ने कहा कि इन नामों को सूचना पट्ट (डिस्प्ले बोर्ड) या आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए ताकि यदि कोई व्यक्ति सूची से अनुचित रूप से हटाया गया हो, तो वह 30 दिनों के भीतर सुधारात्मक कदम उठा सके।
निर्वाचन आयोग ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील माहौल में कार्य कर रहा है, जहां उसके हर निर्णय को लेकर विवाद खड़े हो जाते हैं। आयोग ने बताया कि बिहार में करीब 6.5 करोड़ मतदाताओं को एसआईआर प्रक्रिया के तहत कोई दस्तावेज जमा नहीं करना पड़ा, और यह भी कहा कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को मृत, पलायन कर चुके, या स्थानांतरित मतदाताओं की सूची उपलब्ध कराई गई है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा,“हम नहीं चाहते कि नागरिकों के अधिकार राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर निर्भर रहें।“पीठ ने जोर दिया कि सार्वजनिक रूप से नामों को उपलब्ध कराने से त्रुटियों को ठीक करने का अवसर मिलेगा।
निर्वाचन आयोग ने अदालत में सहमति जताई कि वह मृतकों और स्थानांतरित मतदाताओं की सूची जिला स्तर पर साझा करेगा। अदालत ने आयोग को 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश देते हुए बिहार एसआईआर के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी है।
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