दंतेवाड़ा जिले में दो पूर्व सहायक आयुक्त के द्वारा बिना टेंडर निकाले अपने चहेते ठेकेदारों को काम दे दिया, इस मामले को लेकर जब शिकायत की गई। मामला सही पाया गया। इस मामले से जुड़े 2 पूर्व सहायक आयुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि इस मामले से जुड़ा क्लर्क फरार हो गया है। जिसकी तलाश की जा रही है। मामले के बारे में जानकारी देते अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरके बर्मन ने बताया कि 21 अगस्त को थाना कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया कि आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के विभिन्न योजना/मद अन्तर्गत के तहत स्वीकृत भवन निर्माण के कार्यों के लिए सहायक आयुक्त आदिवासी के द्वारा विगत 05 वर्षों में वर्ष 2021-22 से 2025-26 में विभाग अन्तर्गत जिले के विभिन्न योजना/मद अन्तर्गत स्वीकृत निर्माण कार्यों के लिए नियम अनुसार किसी भी समाचार पत्रों में विज्ञप्ति का प्रकाशन नहीं किया गया और न हीं इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाईन निविदा निकाला गया।
इन कार्यों में फर्जी तरीके से समाचार पत्र का फोटकॉपी ए-4 साईज पेपर हूबहू लगाया गया। इन कार्यो में मुक्तिधाम निर्माण कार्य भाग 1 से भाग 11 तक जिसकी राशि 280,52 लाख रूपये को डॉक्टर आनंदजी सिंह तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास 2, सर्व आदिवासी भवन प्रथम तल का निर्माण कार्य जिसकी राशि 48,32 लाख रूपये 3, माता रूकमणी आवासीय प्राथमिक विद्यालय दन्तेवाड़ा के 30 बिस्तरीय कन्या छात्रावास भवन निर्माण कार्य जिसकी राशि 89,79 लाख रूपये 4, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय कुआकोण्डा में शेड निर्माण कार्य जिसकी राशि 11,30 लाख रूपये 5, 100 सीटर कन्या आश्रम गाटम का भवन निर्माण कार्य जिसकी राशि 212,00 लाख रूपये 6, 100 सीटर आदर्श बालक छात्रावास बालूद का नवीन अतिरिक्त कक्ष भवन निर्माण जिसकी राशि 288,59 लाख रूपये करीब 930,52 लाख रूपये केएस मसराम सहायक आयुक्त आदिवासी विकास दन्तेवाड़ा इस जालसाजी फर्जीवाड़े में आनंदजी सिंह तत्कालीन सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास दंतेवाड़ा जिसमे 13 मार्च 2021 से 11 जून 2024 के एस मसराम, तत्कालीन सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास दंतेवाड़ा जून 2024 से 30 अप्रैल 2025 संजय कोड़ोपी सहायक ग्रेड-02 शाखा लिपिक ने 2018 से अबतक द्वारा लोक सेवक के पद पर रहते हुए अपने अपने पदो का दूरूपयोग करते हुए अपने चहेते ठेकेदारो को लाभ दिलाने हेतु टेंडर के नियमो का पालन न करते हुए टेंडर के बारे में दैनिक समाचार पत्रो में प्रकाशित किये जाने वाले विज्ञापन न छपवाकर फर्जी प्रकाशन दस्तावेजों को असली दस्तावेज बताकर पेश किया गया, मामले का खुलासा होने के बाद इन तीनो के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। जहां दो की गिरफ्तारी हुई है, वहीं क्लर्क फरार है।
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