Monday , September 8 2025
Home / देश-विदेश / ट्रंप टैरिफ का तोड़ निकालने के लिए भारत-EU आए साथ

ट्रंप टैरिफ का तोड़ निकालने के लिए भारत-EU आए साथ

भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की बातचीत अब रफ्तार पकड़ रही है। नई दिल्ली में 8 सितंबर से शुरू होने वाली 13वीं दौर की वार्ता में दोनों पक्ष गंभीर मसलों पर ध्यान देंगे। गैर-टैरिफ रुकावटें, बाजार में पहुंच, और सरकारी खरीद जैसे मुद्दे इस बार चर्चा का केंद्र होंगे।

दोनों पक्षों का मकसद इस साल के अंत तक इस समझौते को अंतिम रूप देना है, ताकि वैश्विक व्यापार में नई मिसाल कायम हो सके। यह समझौता न सिर्फ व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि दोनों के बीच रणनीतिक रिश्तों को भी मजबूत करेगा।

इसके साथ ही, भारत और ईयू 2026 की पहली तिमाही में होने वाले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जुटे हैं।

इस सम्मेलन में कई अहम फैसले और घोषणाएं होने की उम्मीद है। दोनों पक्षों के बीच नई दिल्ली और ब्रसेल्स में कई मुलाकातें तय हैं, जो इस समझौते को और मजबूती देंगी। खास तौर पर अमेरिका की टैरिफ नीतियों से पैदा हुई उथल-पुथल ने इस समझौते को और अहम बना दिया है।

वार्ता में क्या-क्या शामिल?

13वीं और 14वीं दौर की बातचीत में तकनीकी रुकावटें, सैनिटरी और फ़ाइटोसैनिटरी मसले, बाज़ार में पहुँच, मूल नियम, और सरकारी ख़रीद जैसे अहम मुद्दों पर ज़ोर होगा। अब तक 23 में से 11 अध्यायों पर सहमति बन चुकी है, जिनमें बौद्धिक संपदा, सीमा शुल्क, डिजिटल व्यापार, और धोखाधड़ी-रोधी उपाय शामिल हैं।

पूंजी आवाजाही पर एक और अध्याय जल्द पूरा होने वाला है। दोनों पक्ष जुलाई में आदान-प्रदान किए गए सेवाओं और निवेश के प्रस्तावों पर भी काम कर रहे हैं, ताकि सही संतुलन बनाया जा सके।

भारत ने चावल, चीनी, और डेयरी जैसे संवेदनशील उत्पादों को समझौते से बाहर रखा है, जबकि ईयू ऑटोमोबाइल और स्पिरिट्स के लिए बाज़ार में पहुंच चाहता है।

इसके अलावा, अमेरिका की ओर से झींगा जैसे समुद्री उत्पादों पर टैरिफ दोगुना करने के बाद, ईयू भारत के एक्वाकल्चर निर्यात को बढ़ावा देने पर विचार कर रहा है। पिछले साल भारत ने अमेरिका को 2.8 अरब डॉलर के झींगे निर्यात किए थे।

रणनीतिक साझेदारी के लिए भारत ईयू की नई राह

भारत और ईयू के बीच सिर्फ व्यापार ही नहीं, बल्कि रणनीतिक सहयोग भी गहरा हो रहा है। 17 सितंबर को ईयू की विदेश और सुरक्षा नीति प्रमुख काजा कैलास भारत के साथ नई रणनीतिक योजना पेश करेंगी।

इसे साल के अंत तक यूरोपीय परिषद की मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जो 2026 के शिखर सम्मेलन में लागू होगी। इसके अलावा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और भारत-ईयू ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल (टीटीसी) की बैठकें भी रिश्तों को नई दिशा देंगी।

टीटीसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कम्प्यूटिंग, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर 9-10 नवंबर को ब्रसेल्स में इंडो-पैसिफ़िक फ़ोरम में हिस्सा लेंगे, जो दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक बातचीत को और मज़बूत करेगा। ईयू के व्यापार आयुक्त मारोस सेफ़कोविक और कृषि आयुक्त क्रिस्टोफ़ हैनसन भी नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मुलाक़ात करेंगे, ताकि वार्ता को राजनीतिक गति मिले।

क्यों जरूरी है यह समझौता?

वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल के बीच भारत और ईयू का यह समझौता जोख़िम कम करने की दिशा में बड़ा क़दम है। अमेरिका की टैरिफ नीतियों ने वैश्विक बाज़ारों में अस्थिरता पैदा की है, जिसके चलते भारत और ईयू अपने व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं।

यह समझौता न सिर्फ दोनों पक्षों के बीच व्यापार बढ़ाएगा, बल्कि नई तकनीकों और रणनीतिक सहयोग के लिए भी रास्ता खोलेगा। आने वाले महीनों में भारत और ईयू के बीच कई उच्च-स्तरीय मुलाकातें और बातचीतें तय हैं।

इनका मकसद 2026 के शिखर सम्मेलन में एक मजबूत और भविष्योन्मुखी रणनीति पेश करना है। यह समझौता दोनों पक्षों के लिए आर्थिक और रणनीतिक रूप से गेम-चेंजर साबित हो सकता है।