
भावनगर 20 सितम्बर।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का आह्वान करते हुए कहा कि विदेशों पर भारत की निर्भरता उसके सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है।
श्री मोदी आज भावनगर में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए दुनिया के सामने एक आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में खड़ा हो।भारत को एक समुद्री महाशक्ति बनाने के अपनी सरकार के दृष्टिकोण के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश का लक्ष्य 2047 तक वैश्विक समुद्री व्यापार में अपनी हिस्सेदारी को तीन गुना करना है।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने 32 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। श्री मोदी ने 7 हजार 800 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की कई प्रमुख समुद्री परियोजनाओं के साथ मुंबई अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का भी उद्घाटन किया।
भारत की ऐतिहासिक समुद्री ताकत को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब दुनिया का 40 से 50 प्रतिशत समुद्री व्यापार भारत में निर्मित जहाजों के माध्यम से होता था। उन्होंने आगे कहा कि देश अब अपनी विरासत को पुनः प्राप्त करने और एक वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में उभरने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के तट हमेशा से समृद्धि के प्रतीक रहे हैं और अब इसके समुद्री तट भारत के भविष्य के विकास के प्रवेश द्वार बनेंगे।
उन्होंने समुद्री क्षेत्र को कमज़ोर करने के लिए पिछली सरकारों को भी ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि लाइसेंस राज व्यवस्था और वैश्वीकरण के बाद की नीतियों के कारण विदेशी देशों पर निर्भरता बढ़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र अगली पीढ़ी के सुधारों के दौर से गुज़र रहा है। उन्होंने घोषणा की कि यह क्षेत्र जल्द ही “एक राष्ट्र, एक बंदरगाह प्रक्रिया” को अपनाएगा, जिसका उद्देश्य पूरे देश में बंदरगाह प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। उन्होंने संसद में हाल ही में पारित हुए पाँच समुद्री-संबंधी विधेयकों को एक “गेमचेंजर” बताया जो बंदरगाह प्रशासन का आधुनिकीकरण करेगा।
स्वदेशी जहाज निर्माण में भारत की क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने आईएनएस विक्रांत का उदाहरण दिया। उन्होंने समुद्री अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में भी बताया, जिनमें नए बंदरगाहों का विकास, मौजूदा बुनियादी ढाँचे का विस्तार और क्रूज़ पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल है, जिसने समग्र बंदरगाह क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि में योगदान दिया है।
भारत की सभ्यतागत समुद्री विरासत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार देश की प्राचीन समुद्री परंपराओं को प्रदर्शित करने और उन्हें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के लिए लोथल में एक राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय स्थापित कर रही है।
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