सकरा एवं मुरौल प्रखंड की 37 पंचायतों को मिलाकर सकरा विधानसभा क्षेत्र बना है। विस क्षेत्र में 2.71 लाख मतदाता हैं, जिसमें पुरुष 1.43 लाख व महिला मतदाताओं की संख्या 1.27 लाख है। यहां के वोटर किसी भी उम्मीदवार को लंबी अवधि तक कुर्सी पर नहीं बैठाते।
शिवनंदन पासवान, कमल पासवान व बिलट पासवान को छोड़ कोई भी विधायक दूसरी बार यहां से जीत हासिल नहीं कर सका। कमल पासवान लगातार दो बार वर्ष 1990 व 1995 में यहां से विधायक बने थे।
वहीं, शिवनंदन पासवान एक बार आपातकाल के दौरान वर्ष 1977 में व दूसरी बार वर्ष 1985 में यहां से चुने गए। वह भी लगातार नहीं जीते। इसी तरह बिलट पासवान फरवरी 2005 व अक्टूबर 2005 के चुनाव में दो बार जीते।
वर्ष 1952 से लेकर वर्ष 2020 तक हुए 16 विधानसभा चुनावों में सकरा विधानसभा के मतदाताओं ने 14 नए चेहरा चुने। दल की बात करें तो यहां से कांग्रेस व जदयू ने चार-चार बार तो राजद, जनता दल व एसएसपी दो-दो बार और एसओपी, जेएनपी व एलकेडी ने एक-एक बार जीत हासिल की।
राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद भी भाजपा यहां से कभी नहीं जीत पाई। हालांकि एनडीए के उम्मीदवार के रूप में जदयू के उम्मीदवार ने जरूर जीत हासिल की।
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के एनडीए गठबंधन से अलग होकर राजद के साथ चले जाने पर भाजपा ने पहली बार यहां से अर्जुन राम को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह राजद के लालबाबू राम से हार गए।
वहीं कांग्रेस यहां से अंतिम 1980 में जीत हासिल की थी तब कांग्रेस उम्मीदवार फकीर चंद्र राम ने जेएनपी एससी के पनटन राम को पराजित किया था। उसके बाद कांग्रेस यहां से कभी जीत हासिल नहीं कर सकी।