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मोटापे को आम समस्या समझने की न करें गलती

मोटापा एक गंभीर समस्या है, जो दुनियाभर में तेजी से अपने पैर पसारने लगी है। पूरी दुनिया में कई लोग इसका शिकार हो चुके हैं, जिसके लेकर खुद WHO की चिंता जाहिर कर चुका है। साथ ही लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के मकसद से समय-समय पर अलग-अलग दिवस भी बनाए जाते हैं।

हालांकि, आज भी लोगों में बीच इसे लेकर कई तरह की कन्फ्यूजन और गलत धारणाएं मौजूद हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे मोटापे से जुड़े 5 ऐसे मिथकों के बारे में, जिसकी सच्चाई डॉक्टर बता रहे हैं। आइए मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत में बैरिएट्रिक, मिनिमल एक्सेस और जनरल सर्जरी के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. अतुल एन.सी. पीटर्स से जानते हैं मोटाप से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई-

मिथक 1- मोटापा सिर्फ लाइफस्टाइल से जुड़ा एक मुद्दा है

सच्चाई- मोटापे को अक्सर सिर्फ लाइफस्टाइल से जुड़ा एक मुद्दा माना जाता है और बहुत से लोग इसे बीमारी नहीं मानते। हालांकि, हमें यह समझना चाहिए कि WHO मोटापे को एक बीमारी मानता है। इसका मतलब है कि मोटापा सिर्फ “ज्यादा खाना” या “ज्यादा हेल्दी दिखना” नहीं है – बिल्कुल नहीं। मोटापा एक मेडिकल कंडीशन है और इसका इलाज भी उसी तरह किया जाना चाहिए। हम इलाज तभी करवाएंगे जब हम इसे एक बीमारी के रूप में स्वीकार करेंगे; तभी हम सही समय पर सही कदम उठा पाएंगे।

मिथक 2- बेरियाट्रिक सर्जरी बेहद खतरनाक है

सच्चाई- मौजूदा समय में मेडिकल साइंस काफी तरक्की कर चुका है और बढ़ती तकनीक के साथ, बेरियाट्रिक सर्जरी एक बेहद सुरक्षित प्रोसेस बन गई है। इसका रिस्क प्रोफाइल हिस्टेरेक्टॉमी या गॉल ब्लैडर की सर्जरी जैसी सामान्य सर्जरी के बराबर है। इसलिए, यह धारणा कि बेरियाट्रिक सर्जरी “बहुत जोखिम भरी” है या इसमें मौत की संभावना ज्यादा है, सच नहीं एक मिथक है।

मिथक 3- बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद आप कुछ भी नहीं खा सकते

सच्चाई- एक और बड़ा मिथक यह है कि बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद, आप “कुछ भी नहीं खा सकते” या इसके विपरीत, आप “कुछ भी खा सकते हैं और कुछ नहीं होगा”। दोनों ही गलत हैं। सर्जरी के बाद, जरूरत बहुत ज्यादा रोक-टोक की नहीं, बल्कि अनुशासन की होती है। आप खा सकते हैं, लेकिन कंट्रोल, हेल्दी और संतुलित तरीके से। सर्जरी एक उपाय है, जादू नहीं। अगर आप जरूरत से ज्यादा खाते हैं या हर समय अनहेल्दी भोजन खाते हैं, तो आपका वजन फिर से एक समस्या बन सकता है।

मिथक 4- युवतियों की सर्जरी नहीं की जा सकती, क्योंकि इससे उनकी फर्टिलिटी प्रभावित होती है

सच्चाई- यह भी एक मिथक है कि युवतियों में बेरियाट्रिक सर्जरी नहीं की जा सकती। वास्तव में, मोटापा ही युवतियों और महिलाओं में इनफर्टिलिटी का एक प्रमुख कारण है। मोटापा उनकी पीरियड साइकिल को बिगाड़ सकता है, एनोव्यूलेशन (अंडे का ठीक से न बनना) का कारण बन सकता है और हार्मोनल असंतुलन और अन्य संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है।

वजन कम करने के बाद, फर्टिलिटी में अक्सर काफी सुधार होता है। इसलिए जब माता-पिता पूछते हैं कि क्या उनकी छोटी बेटी को यह सर्जरी करवानी चाहिए, तो उन्हें यह समझना चाहिए कि मोटापे का इलाज करने से वास्तव में उसके भविष्य के स्वास्थ्य, फर्टिलिटी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

मिथक 5- मोटापे की नई दवाएं जादुई हैं और इन्हें कोई भी ले सकता है।

सच्चाई- मोटापे की नई दवाएं, खासकर GLP-1 एनालॉग्स, GLP एनालॉग्स दरअसल हमारे शरीर में नेचुरली मौजूद हार्मोन्स के सिंथेटिक संस्करण हैं। चूंकि कई कंपनियां इनका जोर-शोर से प्रचार कर रही हैं, इसलिए लोग इन्हें “मैजिकल मेडिसिन” मानने लगे हैं। हालांकि, यह पूरी तरह से गलत है। ये दवाएं जादुई नहीं हैं और न ही ये हर किसी के लिए हैं। इन दवाओं को हमेशा डॉक्टर की देखरेख में ही लेना चाहिए।

यह एक मिथक है कि अगर आप हफ्ते में एक बार ये इंजेक्शन लेते हैं, तो आपको अपने खान-पान पर नियंत्रण रखने, और एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है और आपका वजन अपने आप कम हो जाएगा। यह बिल्कुल गलत है। फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया पर, हम अक्सर लोगों को बिना डॉक्टरी सलाह के, इन दवाओं का इस्तेमाल करते या बेचते हुए देखते हैं। यह बहुत खतरनाक है।