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गुरु घासीदास जयंती पर समता और सामाजिक समरसता के संदेश पर हुआ मंथन

रायपुर, 18 दिसंबर।महान समाज सुधारक और सतनाम पंथ के प्रवर्तक संत बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती के अवसर पर बुधवार को राजधानी के हांडीपारा स्थित छत्तीसगढ़ी भवन में उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया।

  कार्यक्रम की शुरुआत लोकतंत्र सेनानी एवं छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के संग्राम सेनानी जागेश्वर प्रसाद, राज्य आंदोलनकारी व किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल दुबे तथा रायपुर नगर अध्यक्ष शिवनारायण ताम्रकार द्वारा गुरु घासीदास जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर की गई।

    संग्राम सेनानी जागेश्वर प्रसाद ने आधार वक्तव्य रखते हुए कहा कि बाबा गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय में हुआ, जब समाज में छुआछूत और ऊँच-नीच की भावना गहराई से व्याप्त थी। इन सामाजिक कुरीतियों से वे अत्यंत व्यथित थे। उन्होंने गिरौदपुरी क्षेत्र के छातामुड़ा पहाड़ में छह माह तक कठोर तपस्या कर दिव्य शक्ति प्राप्त की और इसके बाद सतनाम पंथ की स्थापना कर समाज को नई दिशा दी।उन्होंने ‘मनखे-मनखे एक समान’ का संदेश देकर सामाजिक समरसता और समानता का मार्ग प्रशस्त किया।

   विचार-गोष्ठी को संबोधित करते हुए किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं संग्राम सेनानी अनिल दुबे ने कहा कि गुरु घासीदास जी के विचारों को आत्मसात करने से समाज में समता, भाईचारा और न्याय की भावना मजबूत होगी, जिससे देश और प्रदेश का सर्वांगीण विकास संभव है।
उन्होंने कहा कि दलित एवं वंचित वर्ग को आगे बढ़ाने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए गुरु घासीदास जी ने व्यापक जन-जागरण किया।

   श्री दुबे ने गुरु घासीदास जी की 269वीं जयंती का उल्लेख करते हुए घोषणा की कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में भाग लेने वाले सभी आंदोलनकारियों को अब से छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी द्वारा “छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण संग्राम सेनानी” के नाम से संबोधित किया जाएगा।

  उन्होंने कहा कि गुरु घासीदास जी ने संपूर्ण मानव समाज को सत्य, अहिंसा और परोपकार का मार्ग दिखाया है, जिसके लिए समाज सदैव उनका ऋणी रहेगा।

  कार्यक्रम में शिवनारायण ताम्रकार, श्यामूराम सेन, उमेर खान, गंगाराम साहू सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन कार्यालय सहायक अंकित साहू ने किया।