कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कोर टीम की महत्वपूर्ण सदस्य और उनकी भरोसेमंद सहयोगी मीनाक्षी नटराजन क्या एक बार फिर मंदसौर लोकसभा क्षेत्र में वहां के मतदाताओं की कसौटी पर खरी उतरेंगी, यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है क्योंकि 2009 के लोकसभा चुनाव में मीनाक्षी नटराजन ने वरिष्ठ भाजपा नेता और विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू को पराजित करने वाले भाजपा के दिग्गज सांसद डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय को पराजित कर भाजपा के मजबूत किले में सेंध लगा दी थी। इस बार फिर क्या वे मतदाताओं का भरोसा जीतते हुए लोकसभा पहुंचने में सफल रहेंगी, यह तो चुनाव परिणामों से ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल वे कांग्रेस की खोई हुई जमीन को तलाशने के लिए जुट गयी हैं और भाजपा के लोकसभा सदस्य सुधीर गुप्ता को कड़ी टक्कर दे रही हैं। मंदसौर में फिलहाल तो कोई लहर चलती नजर नहीं आ रही फिर भी शहरों में भाजपा का कुछ जोर नजर आता है तो ग्रामीण अंचलों में कांग्रेस कड़े मुकाबले की स्थिति निर्मित कर रही है।
मीनाक्षी सभी कांग्रेसजनों को एकजुट कर चुनाव प्रचार में सक्रिय करने में सफल हो गयी हैं तो वहीं भाजपा में अभी भी अंदरुनी भितरघात की खबरें आ रही हैं। सुधीर गुप्ता के व्यवहार को लेकर भी नाराजगी है लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और संघ का भरोसा है तथा उसके सहारे वे चुनावी वैतरणी पार करने के मंसूबे बांधे हुए हैं।
यदि 1989 से देखा जाए तो लगातार 6 लोकसभा चुनाव जीतने वाले डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय को मीनाक्षी नटराजन ने 2009 के लोकसभा चुनाव में 30 हजार 819 मतों के अन्तर से पराजित कर सबको इस मायने में चौंका दिया था कि कुछ अपवादों को छोड़कर भाजपा के इस मजबूत किले में कांग्रेस की ध्वजा लहराने में वे सफल रहीं थी। लक्ष्मीनारायण पांडेय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं और वरिष्ठतम सांसदों में उनकी गिनती होती रही है। देशभर में किसान आंदोलन के लिए चर्चित मंदसौर लोकसभा में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से सात सीटें भाजपा के पास हैं जबकि एक सुवासरा की सीट कांग्रेस के पास है वह भी उसने मात्र 350 मतों के अन्तर से जीती थी। पिछले विधानसभा चुनाव में तीन सीटें काफी मतों के अन्तर से कांग्रेस हारी थी इसलिए इन्हीं सीटों पर वह काफी जोर लगा रही है ताकि मीनाक्षी के लोकसभा में जाने की राह आसान हो सके। जावरा में कांग्रेस 511 मतों से, गरोठ में 1108 मतों से और जावद में 4271 मतों के अन्तर से चुनाव हारी थी। प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से कांग्रेसजनों के हौंसले बुलंद हैं और कांग्रेस फिर से मंदसौर का किला फतह करने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रही है, यही कारण है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नीमच में आकर मीनाक्षी के पक्ष में एक रैली को सम्बोधित किया। 2009 के चुनाव नतीजों को दोहराने के लिए मीनाक्षी जी-जान से जुटी हुई हैं, तपती दोपहरी भी उनके इस अभियान में बाधक नहीं बन पा रही है। कांग्रेस को भरोसा है कि विधानसभा चुनाव नतीजों से यह साफ हो गया है कि जनता परिवर्तन की चाहत रखती है क्योंकि कांग्रेस के मतों में काफी बढ़ोतरी हुई है।
2014 की मोदी लहर में सुधीर गुप्ता ने मीनाक्षी नटराजन को 3 लाख से अधिक मतों के अन्तर से पराजित किया था। लेकिन हाल के विधानसभा चुनाव में यह अन्तर घटकर हजारों में सिमट गया है। भले ही विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस एक सीट ही जीत पाई हो लेकिन उसके जनाधार में बढ़ोतरी हुई है। इसका प्रमाण यह है कि विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की कांग्रेस पर बढ़त घटकर अब 77 हजार 593 मत ही रह गयी है। विधानसभा के चुनाव के समय गुटों व धड़ों में बंटी कांग्रेस यह चुनाव एकजुट होकर लड़ रही है क्योंकि एक तो मीनाक्षी राहुल गांधी की करीबी हैं इसलिए उन्हें सभी सहयोग कर रहे हैं और दूसरे नाराज कार्यकर्ताओं की नाराजगी स्वयं पहल कर दूर करने के साथ ही कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने में एक बड़ी सीमा तक उन्होंने सफलता हासिल की है। कांग्रेस को भरोसा है कि उसने किसानों की कर्जमाफी कर दी है जिसकी घोषणा राहुल गांधी ने 2017 में हुए किसान आंदोलन के दौरान 6 किसानों की बरसी के अवसर पर मंदसौर जिले से ही की थी, इसलिए वह इस अन्तर को पाटकर अंतत: मंदसौर फतह करने में सफल रहेगी। यह तो चुनाव नतीजों से ही पता चलेगा कि कांग्रेस के भरोसे का आधार मजबूत था या भाजपा की मानसिकता वाले इस इलाके में वह उतनी सेंध नहीं लगा पाई जो उसके उम्मीदवार को लोकसभा में पहुंचा पाती।
सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।