कवर्धा 10 अगस्त।छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडि़या ने कहा कि आदिवासी समाज समाज के अजीविका का मूल साधन अपने जल-जंगल और जमीन में रहकर वनोपज को एकत्र करना और वहां कठिन परिश्रम से विषम परिस्थितियों में कृषि करना है। उनकी यही स्वाभिमानी व्यक्तित्व ही इस समाज की पहचान बन गई है।
श्रीमती भेंडि़या ने दो दिवसीय कार्यक्रम में कहा कि इस सभी जनजातियों के दुख-सुख में हमें एकजूट होकर रहना चाहिए।उन्होने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वनांचल में रहने वाले आदिवासी समाज के हितों और संरक्षण की दिशा में लिए गए सभी फैसलों और निर्णयों की जानकारी देते हुए विस्तार से जानकारी भी दी।विश्व आदिवासी दिवस पर शासकीय अवकाश घोषित करने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार वनांचल मे वाले मूल निवासी आदिवासियों के उत्थान की दिशा में अनेक फैसलें लेकर समाज को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं।
उन्होने समाज के युवाओं और महिलाओं को आग्रह करते हुए कहा कि आदिवासी समाज की रहन-सहन, वेश भूषा, बोली, संस्कृति, परंम्परा और सादगी जीवन शैली को जीवंत रखे, इसी से ही इस समाज की विशिष्ट और अलग पहचान है।कार्यक्रम को पंडरिया विधायक श्रीमती ममता चन्द्रकार और पूर्व विधायक श्री योगेश्वर राज सिंह ने भी संबोधित किया।