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बजट में लोगों की क्रय क्षमता बढ़ाने के लिए कोई नीति नहीं- भूपेश

रायपुर 01फरवरी।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय बजट को शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का बताते हुए कहा कि बजट में लोगों की क्रय क्षमता बढ़ाने के लिए कोई नीति नहीं हैं।

श्री बघेल ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बजट शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का है जो मूलभूत समस्याओं से मुंह छिपाकर खुश होना चाहता है। इस समय देश में मांग की कमी है, जिसकी वजह से देश मंदी की ओर जा रहा है और इसके मूल में जनता की जेब में पैसों की कमी है। लेकिन वित्त मंत्री ने जनता तक पैसा पहुंचाने का कोई इंतजाम नहीं किया है।

उन्होने कहा कि मंदी के दुष्चक्र से निकलना मुश्किल है। इस बजट से जी.डी.पी. वृद्धि, रोजगार वृद्धि सम्भव नहीं।सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) और फूड प्रोसेसिंग इकाईयों को बढ़ावा देने और एथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु कोई उपाय नहीं किए गए। बजट में रोजगार, युवाओं और मध्यम वर्ग के लिए कोई भी ठोस प्रावधान नहीं किया गया है, जिससे कोई उम्मीद बंधती हो।

श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार रेल्वे, भारतीय जीवन बीमा निगम जैसे सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर रही है, इससे देश में बेरोजगारी और अधिक बढ़ेगी। आयकर के नए स्लैब घोषित किए गए हैं, लेकिन इसमें विकल्प का प्रावधान देकर आयकर दाताओं, नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग को उलझा दिया गया है। किसानों की आय दोगुना करने और फाइव ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का सपना दूर-दूर तक पूरा होता नहीं दिखता।

उन्होने बताया कि यह बजट जनता के साथ बड़ा छलावा है। बजट में बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी जैसी प्रमुख समस्याओं की अनदेखी की गई है। लोगों की जेब में पैसा नहीं है, इससे देश में वस्तुओं की मांग घटती जा रही है। पुरानी स्मार्ट सिटी का कोई अता-पता नहीं है और पीपीपी मॉडल पर नई स्मार्ट सिटी बनाने की बात कही जा रही है। रोजगार कैसे पैदा होगा, मोदी सरकार बेरोजगारी के मसले को कैसे दूर करेगी। ये बजट आंकड़ों का मकड़जाल है ताकि अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। दो घंटे 40 मिनट के बजट में कुछ भी ठोस नहीं था। छत्तीसगढ़ को कुछ नहीं दिया गया।