Sunday , May 5 2024
Home / MainSlide / पत्रकार संगठऩों ने श्रम मंत्री से की संकट में आए मीडिया को बचाने की मांग

पत्रकार संगठऩों ने श्रम मंत्री से की संकट में आए मीडिया को बचाने की मांग

लखनऊ, 01 मई।उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि वह श्रमजीवी पत्रकारों द्वारा उठाई गई मांगों के सकारात्मक समाधान का प्रयास करेंगे।उन्होंने कहा कि इस संबंध में वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी चर्चा करेंगे और पत्रकारों की सभी दिक्कतें दूर की जाएंगी।
अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के मौके पर हेमन्त तिवारी के नेतृत्व में आज इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट और यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के चार सदस्य प्रतिनिधि मंडल से श्रम मंत्री ने मुलाकात की। लॉक डाउन में सोशल डिस्टेनसिंग के मद्देनजर का पालन करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने श्रम मंत्री को आठ सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में मीडिया संस्थानों में छंटनी व वेतन कटौती पर रोक लगाते हुए इस तरह का काम करने वालों पर कड़ी कारवाई की मांग के साथ ही केंद्र सरकार से बात कर मीडिया कारोबार के लिए अन्य उद्योगों की तर्ज पर राहत पैकेज का एलान करने की अपील की गयी है। जिससे छंटनी, वेतन कटौती पर रोक लग सके। इसके साथ ही यूपीडब्लूजेयू ने कहा है कि प्रदेश के सभी मीडियाकर्मियों को संकट के इस दौर में कम से कम छह महीनों तक मासिक आर्थिक सहायता सरकार की ओर से उपलब्ध करायी जाए।
ज्ञापन में छंटनी या वेतन कटौती या वेतन न पा रहे मीडिया कर्मियों के लिए भरण पोषण की चिंता को उठाते हुए उनके लिए समुचित व्यवस्था किए जाने की मांग की गयी है।यूपीडब्लूजेयू अध्यक्ष भास्कर दुबे व आईएफडब्लूजे उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा कि देश के कई राज्यों में पत्रकारों के लिए पेंशन योजना लागू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में भी इसी तर्ज पर पत्रकार पेंशन योजना का अविलंब एलान किया जाए। श्रम मंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में श्री तिवारी व भास्कर दुबे के अलावा यूपीडब्लूजेयू संगठन सचिव अजय त्रिवेदी व दीपक के.एस शामिल थे।
ज्ञापन में बताया गया हैं कि कोरोना महामारी के चलते देशव्यापी लाकडाउन में पत्रकारों और खास कर छोटे व मझोले समाचार पत्रों, वेबसाइटों व चैनलों के सामने खुद व परिवार के जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश व देश की सरकार ने समाज के सभी वर्गों व व्यावसायियों सहित कामगारों के भरणपोषण के लिए कुछ न कुछ राहत का एलान किया है। ऐसे में प्रदेश सरकार से अनुरोध किया गया है कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों, वेबसाइटों व चैनलों को इस कठिन काल में सरकारी स्तर पर विज्ञापनों के रुप में एक राहत पैकेज का एलान किया जाए जिससे उनके सामने भरण पोषण की समस्या न खड़ी हो।
एक अन्य मांग में कोरोना महामारी के इस काल में कम से प्रदेश स्तर व जिला स्तर पर फील्ड में काम कर रहे पत्रकारों को अन्य आवश्यक कार्यों में लगे कर्मियों की भांति 50 लाख रुपये का बीमा कवर दिलवाने और प्रदेश भर में सरकारी स्तर पर अविलंब शिविर लगाकर अथवा घर घर जाकर पत्रकारों की निशुल्क कोरोना टेस्टिंग कराने की बात कही गयी है।