नई दिल्ली 20 जून।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चीन के मसले पर कल सर्वदलीय बैठक में की गई टिप्पणियों पर उठाए जा रहे सवालों के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने आज स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की कुछ लोगों द्वारा गलत व्याख्या की जा रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बारे में जारी बयान में कहा कि प्रधानमंत्री इस बारे में स्पष्ट थे कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा में फेरबदल करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से जवाब देगा। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों की अतीत में की गई उपेक्षा के विपरीत, सेना अब वास्तविक नियंत्रण रेखा के किसी भी उल्लंघन से अब निर्णायक तरीके से निपटती है। सर्वदलीय बैठक में इस बात पर आम सहमति थी कि इस मामले में सरकार और सशस्त्र सेनाओं को पूरा समर्थन दिया जाना चाहिए।
सर्वदलीय बैठक में यह भी बताया गया कि इस बार, चीनी सेना नियंत्रण रेखा पर बहुत बड़ी संख्या में आई थी लेकिन भारतीय प्रतिक्रिया उसके अनुरूप ही थी। नियंत्रण रेखा पर घटना के बारे में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसा का कारण चीनी सेनाओं द्वारा नियंत्रण रेखा के दूसरी ओर पक्के ढांचे के निर्माण की कोशिश थी और वे इसे हटाने को भी तैयार नहीं थे।
सर्वदलीय बैठक की चर्चा में प्रधानमंत्री की टिप्पणियां 15 जून की गलवान घाटी की घटनाओं पर मुख्य रूप से केन्द्रित थीं। प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों की वीरता और देशभक्ति की सराहना की, जिन्होंने वहां पर चीन के प्रयासों को असफल कर दिया।
बयान के अऩुसार प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी कि नियंत्रण रेखा के हमारी तरफ चीन की सेनाओं की कोई उपस्थिति नहीं है, हमारी सेना द्वारा की गई कार्रवाई के परिणाम पर आधारित थी।प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था कि सशस्त्र बल सीमाओं की सुरक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
बयान के अऩुसार बैठक में कुछ अवैध कब्जों के बारे में विस्तार से बताया गया। पिछले 60 वर्षों में, 43 हजार वर्ग किमी से अधिक का क्षेत्र जिन परिस्थितियों में हमारे हाथ से निकल गया उसके बारे में देश अच्छी तरह से वाकिफ है। यह भी स्पष्ट किया गया कि यह सरकार नियंत्रण रेखा पर किसी भी तरह के एकतरफा परिवर्तन को मंजूर नहीं करेगी।