नई दिल्ली 29 जुलाई।उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शिक्षा से प्रशासन तक विभिन्न क्षेत्रों में मातृभाषा के जरिये भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण का आह्वान किया है।
श्री नायडू ने आज एक वेबिनार का उद्घाटन करते हुए इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकारों को भी अपने राज्यों की भाषाओं को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देना चाहिए। उन्होने कहा कि भाषाएं सभ्यताओं की जीवनरेखा हैं और ये लोगों की पहचान, संस्कृति और परम्पराओं को प्रदर्शित करती हैं।श्री नायडू ने कहा कि संगीत, नृत्य, परम्परा, उत्सवों, पारम्परिक ज्ञान और धरोहर के संरक्षण में भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भाषाएं तभी लोकप्रिय होंगी, जब उनका व्यापक उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सोचना गलत होगा कि अंग्रेजी के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने से ही जीवन में प्रगति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान से यह बात स्पष्ट हो गई है कि जो लोग अपनी मातृभाषा में दक्ष होते हैं, वे दूसरी भाषाओं को भी बड़ी आसानी से सीख लेते हैं।
श्री नायडू ने कहा कि यह सोचना भी सही नहीं है कि आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य अंग्रेजी में दक्ष होने पर ही किया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वैश्विक नवसृजन सूचकांक की तालिका में चोटी के चालीस-पचास देश, दुनिया के ऐसे राष्ट्र हैं, जिनमें शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से नहीं, बल्कि उन देशों की मातृभाषा में दी जाती है।