रायपुर 31 जुलाई।केन्द्रीय कोयला एवं खनिज मंत्री प्रहलाद जोशी ने छत्तीसगढ़ में एलीफेंट कॉरीडोर तथा सघन वन क्षेत्रों में स्थित कोल ब्लॉक्स को आगामी नीलामी से अलग रखने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर सहमति जताई है।
श्री जोशी ने आज यहां आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस आशय के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की।श्री बघेल ने बैठक में एलीफेंट कॉरीडोर तथा सघन वन क्षेत्रों में स्थित कोयला खदानों को कोल ब्लॉक्स की आगामी नीलामी से अलग रखने का प्रस्ताव रखते हुए इन खदानों के स्थान पर राज्य में स्थित अन्य कोयला क्षेत्रों को चिन्हित करने का प्रस्ताव किया था।
श्री बघेल ने वर्ष 2014 के पूर्व उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार उद्योगपतियों द्वारा अतिरिक्त लेवी के रूप में केन्द्र सरकार के पास जमा जमा की गई 4140 करोड़ रूपए की राशि को राज्य को देने की मांग की।जिस पर केन्द्रीय कोयला मंत्री ने सहमति व्यक्त करते हुए यह बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में उक्त राशि के निस्तारण हेतु आवेदन लगाया गया है, उसके आधार पर जल्द ही निर्णय लिया जायेगा।
श्री बघेल ने गारे पेल्मा खदानों में एसईसीएल को तत्काल उत्पादन बढ़ाने हेतु निर्देशित करने, साथ ही कोयला खदानों में जमा पानी का उपयोग जनहित में पेयजल एवं सिंचाई प्रयोजन के लिए करने, खनन प्रक्रिया समाप्ति पश्चात् अनुपयोगी जमीन राज्य को वापस करने तथा फ्लाई-ऐश के डिस्पोजल हेतु एसईसीएल की बंद पड़ी खदानों के संबंध में त्वरित कार्यवाही की मांग रखी। जिस पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा सीएमपीडीआईएल, एसईसीएल और राज्य के अधिकारियों का संयुक्त दल गठन कर तत्काल निर्णय लेने पर सहमति व्यक्त की गई।
छत्तीसगढ़ के स्थानीय लघु उद्योगों को कोयला उपलब्ध कराने हेतु एक निश्चित मात्रा उपलब्ध कराने के श्री बघेल के प्रस्ताव पर अध्यक्ष कोल इण्डिया प्रमोद अग्रवाल ने सहमति व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को एजेंसी नियुक्त करने हेतु आग्रह किया।जिसके माध्यम से कोयला राज्य के लघु उद्योगों को उपलब्ध कराया जा सकेगा।
कोयला मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार जैन ने प्रस्तुतिकरण में जानकारी दी कि उच्चतम न्यायालय के आदेश उपरांत देश में निरस्त किये गये 204 कोल ब्लॉक्स अंतर्गत छत्तीसगढ़ के निरस्त किये गये 41 कोल ब्लॉक्स में से 16 कोल ब्लॉक्स पुनः आबंटित किये गये थे। जिसमें से वर्तमान में ऑपरेशनल 08 ब्लॉक्स को छोड़कर शेष कोल ब्लॉक्स में भी तत्काल खनन प्रारंभ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लंबित आवश्यक कार्यावाही तत्काल करने का अनुरोध केन्द्रीय अधिकारियों द्वारा किया गया।
केन्द्रीय सचिव द्वारा यह भी जानकारी दी गई कि राज्य में स्थित शासकीय उपक्रम एसईसीएल द्वारा भी आने वाले दो से चार वर्षों में कोयला उत्पादन बढ़ाया जाएगा, जिससे राज्य शासन को वर्तमान में कोयले से प्राप्त होने वाले राजस्व में दोगुना वृद्धि होगी। राज्य को लगभग 6000 करोड़ रूपए का राजस्व मिलेगा।