दुर्ग 20 फरवरी। छत्तीसगढ में पारम्परिक खेलों को पुनर्जीवित करने एवं लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से पहली बार छत्तीसगढ ओलम्पिक संघ द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन में आयोजित खेल मड़ई का आरम्भ आज हुआ।इस खेल मड़ई में छत्तीसगढ़ के कई ऐसे पारंपरिक खेलों का आयोजन भी हो रहा है, जिसे लोगों ने भुला दिया था।
खेल मड़ई में होने वाले पारंपरिक खेलों को लेकर लोगों में अच्छा खासा उत्साह है और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन इन खेलों को देखने और खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करने के लिए खेल मड़ई में आ रहे हैं। पारंपरिक खेलों के आयोजन से यह खेल मड़ई पूरे पाटन क्षेत्र में लोगों के आकर्षण एवं मनोरंजन का केन्द्र बन गई है।
खेल मड़ई में कहीं कबड्डी का नजारा देखने को मिल रहा है, तो कहीं लंगडी दौड एक नए रूप में नजर आ रही है। इसी तरह से कबडडी, खोखो, फुगड़ी, गिल्ली डंडा, भौंरा सहित अन्य कई खेल, सहज ही दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है।प्रदेश की संस्कृति से जुड़े ये सभी खेल विलुप्ति के कगार पर थे।इन खेलों को फिर जीवनदान देने के लिए पाटन की खेल मड़ई संजीवनी बन गई है।
दो दिवसीय इस आयोजन में संपूर्ण प्रदेश के करीब 800 खिलाडी करीब 9 पारंपरिक खेलों में भाग ले रहे हैं। खेल मड़ई में गिल्ली डंडा, खो-खो, पिटठूल, संखली, कबडडी, भौंरा आदि शामिल है। इसके अलावा इनमें कुछ खेल तो ऐसे है, जिन्हें पहली बार लोगों को देखने और सुनने का मौका मिल रहा है।
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