रायपुर 14 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि पांचवी अनुसूची के क्षेत्र में ग्राम सभा को विशेष अधिकार होते हैं और उनकी अनुमति के बिना कोई भी परियोजना या अन्य कार्य क्रियान्वित नहीं की जा सकती।
सुश्री उइके ने गत 04 अक्टूबर से सरगुजा से पैदल यात्रा कर राजधानी पहुंचे आदिवासियों के एक प्रतिनिधिमण्डल को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे उनकी संरक्षक है। उनकी भावनाओं को समझती हैं और उनकी जो भी समस्या है, उनका यथोचित समाधान करने का प्रयास करूंगी। साथ ही शासन से चर्चा करूंगी।
प्रतिनिधिमण्डल ने हसदेव अरण्य परिक्षेत्र को संरक्षित करने और कोयला खनन परियोजना को निरस्त करने, बिना ग्रामसभा के सहमति के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल बेयरिंग एक्ट 1975 के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को निरस्त करने और पांचवी अनुसूची क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के पूर्व ग्राम सभा से अनिवार्य सहमति लेने तथा पेसा कानून को लागू करने का आग्रह किया।
राजभवन द्वारा 10 से 12 लोगों को मिलने की अनुमति दी गई थी, जब राज्यपाल को ज्ञात हुआ कि वे करीब 300 किलोमीटर से पैदल चल के आ रहे हैं, तो उन्होंने उनकी भावनाओं को समझते हुए उन सभी को राजभवन के भीतर बुलाने का निर्देश दिया और 300 से अधिक प्रतिनिधियों को राजभवन के भीतर बुलाया गया।
राज्यपाल पुरूष और महिलाओं समूहों के मध्य स्वयं गई और रूबरू हुईं और उनके अन्य समस्याओं की जानकारी ली। उन्होंने तेंदूपत्ता बोनस और उनके बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति के बारे में पूछा। साथ ही इस समस्या के संबंध में यथासंभव समाधान करने का आश्वासन दिया।प्रतिनिधिमण्डल ने राज्यपाल को धन्यवाद दिया और उनके प्रति आभार प्रकट किया।