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वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में राज्य में हो रही तेजी से कार्रवाई – डीजीपी

रायपुर 02 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा ने कहा हैं कि राज्य में चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी के मामलें में तेजी से कार्रवाई हो रही है और न्यायालय के माध्यम से डायरेक्टर्स की संपत्ति कुर्क करके पीड़ितों को पैसा वापस कराया जा रहा है।

श्री जुनेजा ने आज यहां पुलिस और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में पुलिस मुख्यालय में राज्य स्तरीय वर्कशॉप को सम्बोधित करते हुए कहा कि कार्यशाला के माध्यम से छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकारियों को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों( एनबीएफसी) के अनाधिकृत जमा और गड़बड़ियों के बारे में जानकारी मिल पायेगी।एनबीएफसी कंपनियों का रेगुलेशन, सुपरविजन, सर्विलांस रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है।

वर्कशॉप में बताया गया कि किसी भी वित्तीय अनियमितता के मामले में मनी ट्रेल करना महत्वपूर्ण होता है।चिटफंड कंपनियों के फर्जीवाड़े के संबंध में विशेषज्ञों ने बताया कि जब भी कोई कंपनी वित्तीय धोखाधड़ी करती है वहां डमी डायरेक्टर की संभावना ज्यादा होती है।पुलिस के सामने यहीं से असली चुनौती शुरू होती है कि फर्जीवाड़ा करने वाले मूल लोगों तक कैसे पहुंचा जाय। पुलिस की इस चुनौती को मनी ट्रेल के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।मनी ट्रेल करके जांच एजेंसी पता कर सकती है कि धोखाधड़ी के पैसे का अंतिम लाभ किस व्यक्ति या संस्था को पहुंचा है।मनी ट्रेल के माध्यम से धोखाधड़ी के पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाना आसान होता है।

विशेषज्ञों ने वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों पर फॉरेंसिक ऑडिट के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने बताया कि सभी कंपनियां में ऑडिट एक सामान्य प्रक्रिया है, किसी वित्तीय वर्ष में स्टेटुअरी ऑडिट सभी कंपनियों में होता है लेकिन जब किसी वित्तीय गड़बड़ी का पता लगाना हो तब फॉरेंसिक ऑडिट करना पड़ता है। इससे विस्तृत रूप से किसी वित्तीय धोखाधड़ी या गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है ।

विशेषज्ञों ने बताया कि यदि कंपनी ने जमाकर्ता के साथ धोखाधड़ी की है तो जमाकर्ता कंपनी पर केस कर सकता है इसके साथ ही कंपनी का प्रमोशन करने वाले प्रमोटर यदि उसे कंपनी द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी की जानकारी हो तो उस पर भी जिम्मेदारी तय की जा सकती है।