रायपुर 21 मार्च।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा हैं कि घोटुल की संस्कृति ने बस्तर को देश-विदेश में पहचान दिलायी हैं।घोटुल के संरक्षण, संवर्धन हेतु शासन से जो भी सहयोग होगा वह प्रदान किया जाएगा।
श्री बघेल आज यहां विधानसभा ऑडिटोरियम में बस्तर के 50 से अधिक घोटुलों से आये मांझी एवं सदस्यों को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किया।घोटुल सदस्यों ने श्री बघेल को अंतागढ़ के अमाकडा में 08 अप्रैल को आयोजित झलमलको लायोर गोटूल रच्चा उत्सव में आमंत्रित किया।
श्री बघेल ने आमंत्रण स्वीकारते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान बस्तर से है, वहां की संस्कृति से है।बस्तर की हमेशा अलग पहचान रही है चाहे घोटुल हो, देवगुड़ी , मुर्गा लड़ाई , या दशहरा उत्सव, इन सभी ने बस्तर को देश विदेश में पहचान दिलायी है।वहां की विभिन्न बोलियां , संस्कृति एवं खानपान से बस्तर की अलग पहचान है।घोटुल की पहचान उसकी संस्कृति के कारण देश-विदेश में बनी हुई थी और देश-विदेश से पत्रकार यहां आकर इसकी पहचान बताते थे।घोटुल संस्कृति शिक्षण केंद्र हैं जहां पर शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति की जानकारी प्रदान की जाती है।
उन्होने कहा कि हमारी परंपरा एवं संस्कृति का संबंध प्रकृति के साथ जिंदा रहना चाहिए।घोटुल का अस्तित्व बने रहना चाहिए, इसके माध्यम से हम अपनी संस्कृति से युवाओं को अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री के आग्रह पर घोटुल सदस्यों ने रैला नृत्य प्रस्तुत किया।