बिलासपुर 11 मई।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 25 मई 13 को बस्तर की झीरम घाटी में हुए देश के सबसे बड़े नक्सल हमले की जांच के लिए भूपेश सरकार द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच आयोग के कामकाज पर आज अगले आदेश तक रोक लगा दी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने विधानसभा में विपक्ष के नेता धऱमलाल कौशिक की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया।श्री कौशिक की ओर से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी के अलावा विवेक शर्मा एवं अभिषेक गुप्ता ने नए जांच आयोग की वैधानिकता पर सवाल उठाए और कहा कि घटना के बाद गठित उच्च न्यायालय के सीटिंग जज न्यायमूर्ति प्रशान्त मिश्रा के एकल सदस्यीय जांच आयोग की राज्यपाल को सौंपी गई रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखे बगैर नए आयोग का गठन करना गलत हैं।
दरअसल भूपेश सरकार ने न्यायमूर्ति प्रशान्त मिश्रा के एकल सदस्यीय जांच आयोग के राज्यपाल को लगभग आठ वर्षों बाद रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद राज्य सरकार ने जांच में कुछ और नए बिन्दुओं को शामिल करते हुए सेवानिवृत न्यायमूर्ति सतीशचन्द्र अग्निहोत्री एवं न्यायमूर्ति मिन्हाजुद्दीन के दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन कर दिया।सरकार ने न्यायमूर्ति प्रशान्त मिश्रा जांच आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर भी नही रखा।
विधानसभा में विपक्ष के नेता धऱमलाल कौशिक ने इस पर नए आयोग की वैधानिकता को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।इस पर उच्च न्यायालय ने दो सदस्यीय जांच आयोग के कामकाज पर आज अगले आदेश तक रोक लगा दी। 25 मई 2013 में हुए इस नक्सल हमले में प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नन्द कुमार पटेल,पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला,पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेन्द्र कर्मा समेत लगभग 30 कांग्रेस नेताओं एवं सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी।