नई दिल्ली, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को कहा कि एक केंद्रीयकृत एजेंसी की अनुपस्थिति में क्रिप्टोकरेंसी समुद्री लुटेरों की दुनिया के समान है। उन्होंने यह भी कहा कि एक मुद्रा के तौर पर क्रिप्टोकरेंसी को परीक्षण पर खरा उतरना बाकी है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने टेरा लूना क्रिप्टोकरेंसी में आई जोरदार गिरावट चेताने वाली है। उन्होंने कहा, ‘मैं क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहुत उत्साहित नहीं होता हूं, क्योंकि कभी-कभी हम पूरी तरह से जागरूक नहीं होते हैं और ये समझ नहीं पाते हैं कि हम अपने आपको को किस तरह की ताकतों के हवाले कर रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि एक स्वीकृत मुद्रा के विपरीत क्रिप्टोकरेंसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है। खास बात यह है कि न तो इसकी व्यापक स्वीकार्यता है और ना ही इसकी कोई स्टोर वैल्यू है।
नागेश्वरन ने कहा कि वह आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर टी रबि शंकर की इस बात से सहमत हैं कि वास्तविक वित्तीय नवाचार के मामलों के बजाय क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए नियम बनाना ज्यादा जरूरी है। सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर एक परामर्श पत्र पर काम कर रही है और विश्व बैंक और आइएमएफ सहित विभिन्न हितधारकों और संस्थानों से इनपुट ले रही है। आरबीआइ अपनी डिजिटल मुद्रा लांच करने की योजना बना रहा है। इतना ही नहीं केंद्रीय बैंक कई मौकों पर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपनी चिंता जता चुका है।
अर्थव्यवस्था को लेकर नागेश्वरन ने कहा कि सरकार राजकोषीय घाटा, आर्थिक विकास, गरीबों और कम आय वाले परिवारों के जीवन यापन की लगत को कम रखने और रुपये के मूल्य में कमजोरी को रोकने को लेकर संतुलित कदम उठा रही है। ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) के वैश्विक विकास परिदृश्य को लेकर नागेश्वरन ने कहा कि हमें तुलनात्मक रूप से खुश होा चाहिए क्योंकि कई देशों में चुनौतियां कहीं अधिक हैं। OECD ने बुधवार को भारत के ग्रोथ अनुमानों को पहले के 8.1 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। यह आरबीआई के ग्रोथ अनुमान 7.2 प्रतिशत की तुलना में कम है। इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने भी भारत के विकास अनुमान को 8.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया था।
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