रायपुर 11 नवम्बर।छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने कहा कि बच्चे कच्चे मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जिस रूप में भी ढाला जाए वे ढल जाते हैं।शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारी होती है कि वे उन्हें उचित तरीके से मार्गदर्शन दें, ताकि वे एक अनुशासित नागरिक बन सकें।
श्री टंडन ने आज यहां महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय बाल उत्सव ‘उल्लास’ कार्यक्रम के समापन अवसर को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चे अनगढ़ हीरे होते हैं, जिन्हें तराशने का दायित्व विशेष रूप से शिक्षकों का होता है। बच्चों को केवल ज्ञान की ही आवश्यकता नहीं होती, बल्कि उन्हें ‘समय’ भी चाहिए। शिक्षकों को उन्हें अपना समय देकर उनका उचित मार्गदर्शन करना चाहिए।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि बच्चों में असीमित ऊर्जा होती है। इस ऊर्जा का सही दिशा में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उनके कौतुहल और जिज्ञासा के भाव को उचित तरीके से शांत करना चाहिए। उन्होंने बच्चों द्वारा बनाई गई कलात्मक वस्तुओं की सराहना की। उन्होंने कार्यक्रम के प्रारंभ में वहां उपस्थित सभी बच्चों एवं अतिथियों द्वारा सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाने एवं अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ के स्थान पर पौधों से किये जाने की मुक्त कंठ से सराहना की।
इस अवसर पर रायपुर क्षेत्र के सांसद श्री रमेश बैस, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री पुन्नुलाल मोहले उपस्थित थे।राज्यपाल श्री टंडन ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किये।
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