 रायपुर।छत्तीसगढ़ के सरगुजा (Surguja) संभाग में मौसम की बेरुखी ने चिंता बढ़ा दी है. उत्तर छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में सूखे की स्थिति है. किसान खेती में पिछड़ रहे हैं. बता दें कि धान बुवाई और रोपाई का समय चल रहा है ऐसे में खेतों में पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं होने से किसान धान के पौधो की रोपाई और अन्य फसलों की खेती नहीं कर पा रहे है. इस साल सरगुजा जिले में अब तक औसत से 66 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. आसमान में रोज काले बादल छा रहे हैं लेकिन बरस नहीं रहे हैं. सरगुजा और सूरजपुर के कई इलाकों में सप्ताह भर से बारिश नहीं हुई है. दिन में तेज धूप पड़ रही है वहीं शाम के वक्त मौसम बदल रहा है लेकिन कुछ देर हल्की बारिश के बाद रुक जा रहा है. ऐसे में किसानों को खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है.
रायपुर।छत्तीसगढ़ के सरगुजा (Surguja) संभाग में मौसम की बेरुखी ने चिंता बढ़ा दी है. उत्तर छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में सूखे की स्थिति है. किसान खेती में पिछड़ रहे हैं. बता दें कि धान बुवाई और रोपाई का समय चल रहा है ऐसे में खेतों में पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं होने से किसान धान के पौधो की रोपाई और अन्य फसलों की खेती नहीं कर पा रहे है. इस साल सरगुजा जिले में अब तक औसत से 66 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. आसमान में रोज काले बादल छा रहे हैं लेकिन बरस नहीं रहे हैं. सरगुजा और सूरजपुर के कई इलाकों में सप्ताह भर से बारिश नहीं हुई है. दिन में तेज धूप पड़ रही है वहीं शाम के वक्त मौसम बदल रहा है लेकिन कुछ देर हल्की बारिश के बाद रुक जा रहा है. ऐसे में किसानों को खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है.
मौसम विज्ञानी ने जताई उम्मीद
19 जुलाई की स्थिति में 1 जून से हुई वर्षा में समान्य औसत से सरगुजा 66, जशपुर 70, बलरामपुर 63, सूरजपुर 38 और कोरिया जिला 44 प्रतिशत नीचे चल रहा है. मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट की मुताबिक वर्तमान में ओडिशा में बन रहे नए कम वायुदाब और द्रोणी अक्ष के अपने सामान्य स्थिति की ओर लौटने के संकेत से उम्मीद है कि खेतों में छाई विरानी पर चढ़ रही पीली चादर का रंग हरिया सकेगा. मौसम विज्ञानी भट्ट ने बताया कि वर्ष 1991 से 2021 के 31 वर्षों में अम्बिकापुर नगर की दर्ज वर्षा का औसत 161.2 मिमी है. इन 31 वर्षों में से 14 वर्षों में औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई है जबकि शेष 17 वर्षों में जुलाई के पूर्वार्ध का यह आंकड़ा औसत से नीचे रहा है. इस अवधि में न्यूनतम 36.2 मिमी वर्षा वर्ष 1996 और सर्वाधिक 436 मिमी वर्षा 2021 में दर्ज की गई थी.
2020 में हुई थी सबसे कम वर्षा
जबकि इन 31 वर्षों में से 10 वर्षों में वर्षा 100 मिमी से कम रही थी. दो वर्ष पिछले मानसून में वर्ष 2020 में अम्बिकापुर में पूरे जुलाई में पिछले 50 वर्षों की सबसे न्यूनतम वर्षा के होने का एक रिकॉर्ड कायम हुआ था. इस वर्ष पूरे जुलाई में जुलाई की औसत वर्षा 398.1 मिमी की तुलना में महज 146.1 मिमी ही हो पाई थी जबकि पूरे मानसून की वर्षा 2020 में 985.6 मिमी रही थी. पिछले मानसून 2021 में जुलाई के पूर्वार्ध में अर्थात शुरुआती 15 दिनों में 108.1 और पूरे जुलाई 2021 में 361.9 मिमी वर्षा हुई थी. 2021 में जून की 271.8 मिमी को व्यापक वर्षा के बाद जुलाई के पूर्वार्ध में मानसून कमजोर जरूर पड़ा था लेकिन उसके उत्तरार्ध में लगातार वर्षा के कारण पूरे मानसून 2021 का वर्षा का आंकड़ा 1009.3 मिमी तक एक संतोषजनक स्थिति तक पहुंच सका था.
पिछले वर्ष की तुलना में स्थिति चिंताजनक
श्री भट्ट ने बताया कि इस वर्ष 2022 में स्थिति पिछले वर्ष को तुलना में अभी तक चिंताजनक बनी हुई है. जून में महज 125.1 मिमी के बाद जुलाई के पूर्वार्ध में मात्र 83 मिमी की वर्षा और कमोवेश पूरे सरगुजा संभाग में इसी प्रकार की स्थिति बनी हुई है. यह किसानों के साथ आमजनमानस के माथे पर चिंता की लकीर खींच रहा है. लगातार बादलों की सरगुजा संभाग से बेरुखी, खाड़ी की नम हवा का सरगुजा के बगल से विचलन और मानसून द्रोणिका का दक्षिणी झुकाव सरगुजा संभाग में वर्षा होने से रोक रहा है.
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