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SC ने तलाक़-ए-हसन पीड़ित बेनजीर हिना की याचिका पर सुनवाई करते हुए कही ये बड़ी बात

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहली नज़र में तलाक़-ए-हसन ग़लत नहीं लगता है. मुस्लिम समुदाय में महिलाओं के पास भी तलाक का अधिकार है. वो ‘खुला’ के जरिये तलाक़ ले सकते हैं. हम नहीं चाहते कि यह किसी और तरह का एजेंडा बने. तलाक़-ए-हसन में पति एक-एक महीने के अंतराल पर तीन बार मौखिक तौर पर या लिखित रूप में तलाक़ बोलकर निकाह रद्द कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका तलाक़-ए-हसन पीड़ित बेनजीर हिना ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तलाक़ का ये तरीका संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन है. इस प्रक्रिया में पति एकतरफा तलाक़ देता है. महिला की सहमति-असहमति का कोई मतलब नहीं रह जाता. इसके तहत सिर्फ पति को ही तलाक़ का अधिकार है, पत्नी को नहीं. बेनज़ीर को मिल चुके तलाक़ के तीनों नोटिस बेनज़ीर ने जब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, तब उन्हें तलाक का पहला नोटिस ही मिला था. इसके बाद उनकी ओर से कई बार मामले में जल्द सुनवाई की मांग की गई, लेकिन उनका मामला सुनवाई पर नहीं लग पाया. इसी बीच बेनजीर को 23 अप्रैल और 23 मई को स्पीड पोस्ट के जरिये और 23 को मेल पर तलाक़ के तीनो नोटिस मिल चुके हैं. मेहर की रकम बढ़ाई जा सकती है -SC आज जैसे ही ये मामला सुनवाई पर आया, जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि ये एक साथ तीन तलाक़ का मामला तो नहीं है. मुस्लिम समुदाय में महिलाओं को भी ‘खुला’ के जरिए तलाक का अधिकार है. अगर दो लोग साथ रहकर ख़ुश नहीं हैं, तो वो तलाक ले सकते हैं. कोर्ट भी उन्हें इसकी इजाज़त देता रहा है. अगर मसला मेहर की रकम का है तो कोर्ट इसे बढ़ाने का आदेश दे सकता है. कोर्ट का याचिकाकर्ता से सवाल कोर्ट ने याचिकाकर्ता बेनज़ीर हिना से पूछा- अगर आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए तो क्या आप आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी? इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पिंकी आनंद ने जवाब देने के लिए और वक़्त दिए जाने की मांग की. मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी.