रायपुर 27 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया हैं कि विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक पर भाजपा के दबाव में राज्यपाल अनुसुईया उइके हस्ताक्षर नही कर रही हैं।
श्री बघेल ने आज यहां भेंट मुलाकात कार्यक्रम पर रवाना होने से पूर्व पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विधानसभा में पेश करने के लिए बिल सम्बधित विभाग तैयार करता हैं और उसे फिर मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता हैं। मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद इसे विधानसभा की एडवाइजरी कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता हैं।इसके अनुमोदन के बाद सदन के पटल पर रखा जाता हैं। यह सभी प्रक्रिया पूरी की गई है।
उन्होने कहा कि विधानसभा में सर्वसम्मति से विधेयक पारित हुआ है,और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने भी इस पर हुई चर्चा में भाग लिया।इसके बाद भी राज्यपाल भाजपा के दबाव में उस पर हस्ताक्षर नही कर रही हैं।भाजपा के प्रतिनिधिमंडल आए दिन राज्यपाल से मिलते रहते है लेकिन कभी किसी ने राज्यपाल से हस्ताक्षर का अनुरोध नही किया,जबकि सदन में सर्वसम्मति से पारित होने में सहयोग किया।
श्री बघेल ने कहा कि विधिक सलाह लेने के नाम पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर नही किया,और सरकार से 10 बिन्दुओं पर जवाब मांग लिया। अधिकारियों ने जवाब नही देने की सलाह दी लेकिन फिर भी उनकी सरकार ने सभी बिन्दुओं पर जवाब दे दिया। उन्होने कहा कि राज्यपाल का विधिक सलाहकार कौन है,एक सलाहकार तो एकात्म परिसर(भाजपा का स्थानीय कार्यालय) में बैठता हैं,क्या वह विधानसभा से बड़ा हो गया हैं।
उन्होने कहा कि राज्यपाल या तो विधेयक को वापस करे या फिर उसे राष्ट्रपति के बाद भेजे या फिर इसे अनिश्चितकाल के लिए रोक कर रख ले।वह तीसरे विकल्प को अपना कर इसे रोक कर रखना चाहती हैं और हस्ताक्षर नही करा चाहती हैं। वह केवल इसके लिए बहाने ढूढ़ रही हैं।उन्होने पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के एक अंग्रेजी अखबार में आरक्षण विधेयक पर दिए बयान के लिए भी उनकी तीखी आलोचना की।
भ्रष्टाचार को लेकर उऩकी सरकार पर भाजपा के लगातार लगाए जा रहे आरोपो पर श्री बघेल ने पलटवार करते हुए कहा कि यह गोलवलकर को मानने वाले लोग है,और इनकी नीति ही है कि झूठ को इतनी बार बोलों कि लोग जब तक इसे सच नही मानने लगे।उन्होने कहा कि 15 वर्षों तक जनता को नान,धान एवं खदान के नाम पर लूटने वालो को बताना चाहिए कि चार वर्षों में उनकी सरकार ने डेढ़ लाख करोड़ रूपए सीधे किसानों,मजदूरों समेत विभिन्न वर्गों के बैंक खातों में सीधे डाले हैं,तो इसमें कैसे भ्रष्टाचार हो गया।
उन्होने स्काईवाक मामले में भाजपा के आरोपो को खारिज करते हुए कहा कि इस पर भाजपा के नेता सीधा जवाब क्यों नही देते। उन्हे बताना चाहिए कि राज्य में आचार संहिता लगी होने तथा मतदान सम्पन्न होने के बाद 05 दिसम्बर 18 को 28 करोड़ रूपए की लागत बढ़ाने का प्रस्ताव कैसे बढ़ा और 11 दिसम्बर को मतगणना होने और उससे भाजपा की करारी हार के बाद 13 दिसम्बर को परिवर्तित राशि की प्रशासनिक स्वीकृति कैसे दी गई।