रायपुर 10 जनवरी।छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आरक्षण संशोधन विधेयक पर 40 दिन बाद भी राज्यपाल के हस्ताक्षर नही करने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासी समाज को हो रहा हैं।
श्री मरकाम ने आज यहां जारी बयान में कहा कि आरक्षण संशोधन विधेयक में आदिवासी समाज के लिये 32 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। बिलासपुर उच्च न्यायालय के 58 प्रतिशत आरक्षण को 50 प्रतिशत किये जाने पर आदिवासी समाज का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।आरक्षण विधेयक राजभवन में रुका है तो इसका खामियाजा आदिवासी समाज को सबसे ज्यादा हो रहा हैं।
उन्होने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा पारित करवाये गये आरक्षण संशोधन विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) के लिये भी 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ओबीसी वर्ग से आते है लेकिन ओबीसी वर्ग के हितों के खिलाफ जाकर वे लोग भी आरक्षण विधेयक को राजभवन में रोकवाये है।
श्री मरकाम ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति को उनकी जनगणना के आधार पर तथा पिछड़ा वर्ग को क्वांटी फायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिये 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगो को भी 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। 72 प्रतिशत का आरक्षण सभी वर्गो की आबादी के अनुसार निर्णय लिया है।यह विधेयक यदि कानून का रूप लेगा तो हर वर्ग के लोग संतुष्ट होंगे।