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छत्तीसगढ़ में 11 संसदीय सचिवों का मामला उच्च न्यायालय में लम्बित

रायपुर 22 जनवरी।छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय सचिवों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर की याचिका छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की डिवीजन बैंच में अंतिम सुनवाई के लिए लम्बित है।अदालत ने छत्तीसगढ़ शासन एवं संसदीय सचिवों को नोटिस जारी किया है।

पूर्व मंत्री श्री अकबर ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि संसदीय सचिव के पद का संविधान में प्रावधान नहीं होने के आधार पर उन्होने याचिका दायर की है।याचिका में 11 संसदीय सचिवों को छत्तीसगढ़ विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है।याचिका में कहा गया है कि संविधान में या किसी कानून में संसदीय सचिव का पद है ही नहीं, इसलिए म.प्र.विधान मंडल सदस्य निरर्हता निवारण अधिनियम 1967 एवं छत्तीसगढ़ विधान मंडल सदस्य निरर्हता (संशोधन) अधिनियम 2006 का प्रोटेक्शन इनको(संसदीय सचिवों को) नहीं मिल सकता।

उन्होने बताया कि इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग को भी 03 जनवरी 16 को शिकायत की गई थी और 16 नवम्बर 16 को राज्यपाल बलरामजी दास टंडन के समक्ष भी आवेदन प्रस्तुत किया गया था।राज्यपाल ने आवेदन को निर्वाचन आयोग के पास जांच के लिए नही भेजा।वहीं आयोग ने भेजे गए शिकायती पत्र के जवाब में कहा कि आयोग सीटिंग एम.एल.ए. की निर्हता के प्रश्न पर तभी विचार कर सकता है यदि सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल द्वारा उसको रिफर किया जाए।

श्री अकबर ने कहा कि दिल्ली में तो बगैर किसी सुख सुविधा के बनाए गए संसदीय सचिव बनाए गए 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी गई जबकि छत्तीसगढ़ में 34 करोड़ रूपए की भारी राशि वेतन ,भत्ते, वाहन एवं स्वेच्छानुदान में दिए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नही हो रही है।उन्होने कहा कि एक बार फिर राज्यपाल से मिलकर उनसे शिकायत तो चुनाव आयोग के पास जांच के लिए भेजने का अनुरोध किया जायेगा।