रायपुर 26 फरवरी।छत्तीसगढ़ विधानसभा ने आज आगामी वित्त वर्ष के 87 हजार 463 करोड़ रूपए के बजट एवं तत्संबंधी विनियोग विधेयक को आज ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह द्वारा इससे पूर्व इस पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह बजट अंत्योदय सहित समाज के सभी वर्गों को स्पर्श करता है। जनहितकारी योजनाओं के माध्यम से प्रदेश की जनता और छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करने का मुझे अवसर मिला। हम प्रदेश को नई दिशा देने में सफल रहे। पिछले 14 वर्षों में आत्मविश्वास से भरपूर एक नई पीढ़ी तैयार हो गई है। उन्होंने कहा कि हमने जनहितकारी योजनाओं को जनता के अधिकार में बदल दिया, जिससे आने वाले समय में इन योजनाओं को बदला नहीं जा सकेगा, क्योंकि किसी कानूनी अधिकार को बदलना किसी निर्वाचित सरकार के लिए आसान नहीं होता। मैं इसे राईट बेस्ड इनटाईटलमेंट मानता हूं।
उन्होंने कहा कि हमने भेदभाव को समाप्त करने के लिए योजनाओं का यथासंभव सभी वर्गों के लिए यूनिवर्सिलाईजेशन भी किया है। इनमें मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना, सरस्वती साईकल योजना, निःशुल्क गणवेश, पुस्तक प्रदाय योजना, किसानों को निःशुल्क बिजली, शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण, उज्ज्वला और स्काई के तहत स्मार्ट फोन वितरण शामिल हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि जनता ने उन्हें लगातार बारहवीं बार बजट प्रस्तुत करने के लिए निमित्त बनाया। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोच्च है और यह बजट छत्तीसगढ़ की जनता को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक आम धारणा है कि एक अच्छा वित्त मंत्री होने के लिए एक अच्छा अर्थशास्त्री होना जरूरी है, लेकिन मेरी नजर में बजट आर्थिक दस्तावेज से अधिक एक राजनीति दस्तावेज है, जिसमें आंकड़ों से ज्यादा महत्व विचारधारा का, जनता की अपेक्षाओं का, जनता के विश्वास का और उस सुख-दुःख का होता है, इसका सीधा असर लाखों जिन्दगियों पर पड़ता है। अच्छा बजट तो दिल से बनता है, जिसमें आम जनता के लिए संवेदनाएं जुड़ी हों।
उन्होंने कहा कि पिछले 14 वर्षों में जीएसडीपी साढ़े गुना बढ़कर दो लाख 91 हजार 681 करोड़ रूपए हो गया है। यह हमारी ढाई करोड़ जनता के विकास और गौरव का विषय है। पिछले 14 वर्षों में बजट का आकार नौ गुना बढ़ा है। प्रतिव्यक्ति आय भी 2003 में 13 हजार रूपए से बढ़कर 92 हजार 035 रूपए सालाना हो गई है। यह जन-जन की सम्पन्नता का सूचक है। उन्होंने कहा कि स्वयं का कर राजस्व वर्ष 2003-04 में दो हजार 588 करोड़ की तुलना में वर्ष 2018-19 में बढ़कर 26 हजार 030 करोड़ रूपए हो गया है। यह दस गुना वृद्धि है। न केवल राज्य से बल्कि केन्द्र से भी संसाधन जुटाने में सफलता मिली है। केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा 2003-04 में 1570 करोड़ रूपए की तुलना में 14 गुना बढ़कर 2018-19 में 22 हजार 955 करोड़ रूपए हो गया है। केन्द्र से प्राप्त सहायता अनुदान में भी 23 गुना वृद्धि हुई है।
डॉ.सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में 14वें वित्त आयोग की राशि में राज्य का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है। इसके फलस्वरूप राज्य की वित्तीय व्यवस्था में सुधार आया है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। राज्य का कुल व्यय 2003-04 में 8 हजार 174 करोड़ रूपए की तुलना में वर्ष 2018-19 में 83 हजार 179 करोड़ रूपए अनुमानित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आरबीआई की रिपोर्ट 2017 के अनुसार ऋण संकेतों में छत्तीसगढ़ देश में सबसे बेहतर स्थिति में है। छत्तीसगढ़ का ऋण भार कुल जीएसडीपी का 14.6 प्रतिशत है, जो सभी राज्यों के औसत 23.2 प्रतिशत से बहुत कम और देश में न्यूनतम है। सामाजिक क्षेत्र पर बजट में जीएसडीपी के अनुपात में सभी राज्यों के औसत 7.9 प्रतिशत प्रावधान की तुलना में सर्वाधिक 15.8 प्रतिशत का प्रावधान छत्तीसगढ़ के बजट में किया गया है, जो देश में प्रथम स्थान पर है। राज्य के बजट का 57.2 प्रतिशत भाग सामाजिक क्षेत्र पर खर्च किया जाता है, जो समाज कल्याण तथा सर्वोदय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि सामान्यतः जीएसडीपी के तीन प्रतिशत तक वित्तीय घाटे की सीमा निर्धारित है। छत्तीसगढ़ उन चुनिंदा राज्यो में है, जिनकी ऋण सीमा बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण जीएसडीपी के तीन प्रतिशत की सामान्य सीमा के स्थान पर 3.5 प्रतिशत है। इससे 1500 करोड़ रूपए की अतिरिक्त ऋण सीमा प्राप्त करने की पात्रता मिलेगी। वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद का 2.96 प्रतिशत सकल वित्तीय घाटा अनुमानित है, जो निर्धारित सीमा के अंदर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का कृषि बजट में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले 14 वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में 58 प्रतिशत और बीज उत्पादन में 23 गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इस खरीफ वर्ष में 12 लाख 6 हजार किसानों से आठ हजार 890 करोड़ रूपए का धान खरीदा गया। इस तरह प्रति किसान लगभग 73 हजार 700 रूपए का धान खरीदा गया। वर्ष 2018-19 में धान बोनस के लिए दो हजार 107 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बजट में 6 नवीन कृषि महाविद्यालय की स्थापना, दो कृषि महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम तथा 100 उच्चतर माध्यमिक शालाओं में कृषि संकाय शुरू करने का प्रावधान किया है।
उन्होने कहा कि सूखे की स्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है। प्रदेश के 96 तहसीलों में सूखे की स्थिति को देखते हुए सूखा राहत मद में वर्ष 2017-18 में 691 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है। अब तक लगभग पांच लाख किसानों को 350 करोड़ रूपए की मुआवजा राशि का वितरण किया जा चुका है। सूखा ग्रस्त 96 तहसीलों में मनरेगा के तहत 50 दिवस का अतिरिक्त रोजगार देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को भारत सरकार से मंजूरी मिल गई है। इसलिए अब सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में 200 दिवस का रोजगार दिया जा सकेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी सूखा प्रभावित किसानों को लगभग 450 करोड़ रूपए की क्लेम राशि के भुगतान की कार्रवाई की जा रही है।
डा.सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में जीएसडीपी का 5.7 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है, जो पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। इस वर्ष के बजट में प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी जैसी जांच सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराने के लिए 30 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की राशि 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दी गई है। इस योजना के अंतर्गत 38 लाख परिवारों को दो हजार करोड़ रूपए का चिकित्सा लाभ मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी और श्री नितिन गड़करी की दूरदर्शी और महत्वकांक्षी योजना भारतमाला से छत्तीसगढ़ ईकानॉमिक कारिडोर डेव्हलपमेंट प्लान से जुड़ेगा और यहां 410 किलोमीटर सड़क का निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके तहत रायपुर से दुर्ग बायपास सिक्सलेन का निर्माण किया जा रहा है, जो राजनांदगांव के टेडेसरा से शुरू होकर दुर्ग, भिलाई, रायपुर शहरों को बायपास करते हुए सीधे आरंग से जुड़ेगा।
उन्होने कहा कि ऐसे वृद्धजन, परित्यक्ता और निराश्रित जिनका नाम सर्वे सूची में छूट गया था। उनके लिए मुख्यमंत्री पेंशन योजना प्रारंभ की जा रही है। इससे लगभग तीन लाख वृद्धजन, परित्यक्ता और निराश्रित को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं में 16 लाख वृद्धजनों, विधवाओं और निराश्रितों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिल रही है। अब इनकी संख्या बढ़कर 19 लाख हो जाएगी।