बेंगलुरू 23 अगस्त।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की उपलब्धि का श्रेय इसरो की वैज्ञानिक पीढि़यों को दिया।
श्री सोमनाथ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना यान उतारने वाला पहला देश बन कर भारत ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट सॉफ्ट लैंडिंग की। इस महत्वपूर्ण सफलता ने भारत के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण की बाधाओं को समाप्त कर दिया है।
उन्होने बताया कि लैंडिंग से 20 मिनट पहले तक बेंगलुरू के नियंत्रण केंद्र में चिंता थी। इसरो ने स्वचालित लैंडिंग अनुक्रम शुरू किया। इसने विक्रम लैंडिंग मॉड्यूल को चार्ज लेते हुए अपने कंप्यूटर और तर्क का उपयोग करके एक अनुकूल स्थान की पहचान और साफ्ट लैंडिंग में सक्षम बनाया। इस सफलता के बाद चारों ओर खुशी का माहौल था।उन्होने सभी के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन – इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की उपलब्धि का श्रेय इसरो की वैज्ञानिक पीढि़यों को दिया।
उन्होंने कहा कि यह असफलता से सीखा गया सबक था और आज वे सफल हुए। उन्होंने कहा कि वे चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए अगले 14 दिनों का इंतजार कर रहे हैं। श्री सोमनाथ ने बताया कि लैंडर से मिले डेटा की समीक्षा के बाद रोवर प्रज्ञान नीचे उतरेगा।
चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक पी० वीरमुथुवेल ने आज की सफलता के लिए पूरी टीम को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि विक्रम लैंडर के उतरने के साथ भारत ने चंद्रमा पर सॉफ्टलैंडिंग की अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।चंद्रयान-3 मिशन की सहायक परियोजना निदेशक कल्पना ने कहा कि यह उनके और उनकी टीम के लिए सबसे यादगार पल था और चार वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद इस पल को वह कभी नहीं भूल पाएंगी।
मिशन निदेशक एम श्रीकांत ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्टलैंडिंग के इस कठिन कार्य में सफलता के लिए इसरो की पूरी टीम को धन्यवाद दिया।