Tuesday , September 16 2025

श्रीलंका: राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कैबिनेट में फेरबदल किया,जाने क्यों?

श्रीलंका में कैबिनेट फेरबदल की खबर सामने आई है। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मंत्रिमंडल में पहला फेरबदल किया। विपक्षी दलों की आलोचना के बीच कई मंत्रियों के विभाग बदले गए हैं। श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री का भी विभाग बदला गया है।

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अपने मंत्रिमंडल में पहला फेरबदल किया। उन्होंने दो मंत्रियों के विभाग बदले। विपक्षी दल आलोचना कर रहे हैं कि श्रीलंका में नकदी संकट के बीच सरकार अगले वर्ष होने वाले चुनावों को स्थगित करने की योजना बना रहे हैं। आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए सोमवार को मंत्रियों का विभाग बदला गया।

विपक्षी दलों ने 69 साल के मंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया
गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्री केहेलिया रामबुकवेला को पर्यावरण मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। 69 वर्षीय रामबुकवेला के खिलाफ श्रीलंका की संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि, प्रस्ताव खारिज होने के कारण रामबुकवेला को पद से इस्तीफा नहीं देना पड़ा। विपक्षी पार्टियों ने स्वास्थ्य मंत्री के आचरण पर सवाल खड़ा करते हुए अक्षमता, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन जैसे आरोप लगाए थे।

भारत की कंपनी पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के आरोप, नया मंत्री कौन बना
स्वास्थ्य मंत्रालय अब उद्योग मंत्री रमेश पथिराना के अधीन कर दिया गया है। पथिराना एक डॉक्टर भी हैं। बता दें कि रामबुकवेला ने एक पखवाड़े पहले एक भारतीय कंपनी की तरफ से कथित तौर पर घटिया दवा की आपूर्ति के मामले में पुलिस जांच का आदेश दिया था। हालांकि, भारतीय कंपनी ने श्रीलंका में ऐसी किसी भी दवा की आपूर्ति से इनकार कर दिया था। 

पर्यावरण मंत्रालय विक्रमसिंघे के पास था
स्वास्थ्य मंत्री के अलावा पर्यावरण मंत्रालय में भी फेरबदल किया गया है। पर्यावरण मंत्रालय खुद राष्ट्रपति विक्रमसिंघे संभाल रहे थे। हालांकि, श्रीलंका की अदालत के आदेश के बाद उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

राष्ट्रपति विपक्ष की चुनाव टालने की आलोचना पर क्या बोले?
कैबिनेट में मामूली फेरबदल की पहल विक्रमसिंघे ने ऐसे समय में की है, जब विपक्ष ने आलोचना की है कि राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे अगले साल होने वाले श्रीलंका के प्रमुख चुनावों को स्थगित करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, विक्रमसिंघे ने रविवार को इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव संवैधानिक शर्तों के अनुसार अगले साल ही कराए जाएंगे। इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए।