Friday , September 20 2024
Home / MainSlide / रेवड़ी कहकर लोकहित की योजनाओं के लाभार्थियों का भाजपा कर रही हैं तिरस्कार – सुप्रिया श्रीनेत

रेवड़ी कहकर लोकहित की योजनाओं के लाभार्थियों का भाजपा कर रही हैं तिरस्कार – सुप्रिया श्रीनेत

रायपुर 25 अक्टूबर।कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सोशल मीडिया चेयरमैन सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा पर आरोप लगाया कि रेवड़ी कह कर सरकार के दायित्वों और लोकहित की योजनाओं का अपमान कर रही है साथ ही इसके लाभार्थियों का वह तिरस्कार कर रही हैं।  

     सुश्री सुप्रिया श्रीनेत ने आज यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि आज जब छत्तीसगढ़ का चुनाव मुहाने पर है तो कांग्रेस सरकार अपने काम के दम पर, अपने रिपोर्ट कार्ड पर जनता से वोट माँग रही है और हमारी प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से जुमलों की बारिंश कर रही है। झूठ बोलने और फेंकने में मोदी जी और उनके परम चेले अमित शाह जी का तो कोई जवाब ही नहीं है। पर इस चुनाव की सारी लड़ाई अंततोगत्वा – रेवड़ी और रबड़ी पर आ कर टिक गई है। हमने गरीबों शोषितों वंचितों आदिवासियों के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया तो उसको मोदी जी रेवड़ी बताते हैं। उन्होंने अडानी के लिए दिन रात मेहनत की लेकिन उस रबड़ी पर चर्चा नहीं करते।

     उन्होने कहा कि भूपेश सरकार की ज़्यादा दाम पर धान खरीदने की पहल को भी केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।मोदी सरकार ने ऑर्डर निकाल कर कहा कि अगर कोई सरकार एमएसपी से ज्यादा पर धान खरीदेगी तो केंद्र सरकार के पूल में वो नहीं खरीदा जायेगा, इसीलिए हमने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में अतिरिक्त पैसा डाला। लेकिन इस सरकार की कुत्सित हरकतों का अंदाजा आप इससे लगाइए कि केंद्र सरकार ने 86 मीट्रिक टन चावल खरीदने का वादा किया जिसको बाद में 61 मीट्रिक टन कर दिया गया और यही वो लोग हैं जिन्होंने कर्नाटक की हमारी सरकार को 35 मीट्रिक टन चावल देने से मना कर दिया।

      सुश्री सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि रेवड़ी रेवड़ी चीखने वाले अडानी के लिये लगातार रबड़ी परोस रहे है। बस्तर में एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट को अडानी को सौंपने की पूरी तैयारी के बावजूद अब कहा जा रहा है ऐसा नहीं होगा। तो फिर वित्त मंत्रालय की विनिवेश वेबसाइट पर अभी तक इसका नाम क्यों है। याद रखियेगा यह वही चुनावी जुमला जिनकी बौछार करके प्रधानमंत्री जी खुद उनके बारे में अगले पल ही भूल जाते हैं ! लेकिन अगर गरीबों शोषितों आदिवासियों किसानों के लिए काम करना और उनकी भलाई करना रेवड़ी बाँटना है तो रेवड़ियाँ और बँटनी चाहिये।