सिंघल के दूसरे संकल्प की सिद्धि के लिए अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा (84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र) को भी राममय और भक्तों के अनुकूल बनाने के लिए सजाया व संवारा जा रहा है।
राममंदिर आंदोलन के अगुवा और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संस्थापक अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल का एक संकल्प रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ 22 जनवरी को पूरा होने जा रहा है। उनके दूसरे संकल्प की सिद्धि के लिए अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा (84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र) को भी राममय और भक्तों के अनुकूल बनाने के लिए सजाया व संवारा जा रहा है।
तीर्थ क्षेत्र भवन रामकोट में प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी तैयारियों में अहम भूमिका निभा रहे विहिप के सहयोगी संगठन हनुमान मंडल के प्रमुख सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि 84 कोसी परिक्रमा कुछ साधु-संतों तक सिमटकर रह गई थी। अशोक सिंघल इस पथ को पुरातन काल की तरह भक्तिमय व सुविधामय देखना चाहते थे। इसके लिए विहिप ने हनुमान मंडल बनाया, जो तय योजना पर काम कर रहा है।
केंद्र और राज्य सरकारें कर रहीं मिलकर काम
हनुमान मंडल ने 84 कोसी परिक्रमा पथ के निर्माण, नदी पार करने वाले दो स्थानों पर पुल बनाने और 20 पड़ाव स्थलों के विकास की सरकार से मांग की। प्रदेश और केंद्र सरकारें चौरासी कोसी परिक्रमा पथ के निर्माण व चौड़ीकरण में लगी हैं। अलग-अलग छह पैकेज मंजूर हो चुके हैं। केंद्र का सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय इस पर 7000 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च करने जा रहा है। राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण या खरीद की कार्यवाही कर रही है। पर्यटन विभाग अलग-अलग हिस्सों में पर्यटन स्थलों का विकास व पुराने कुंडों का निर्माण करा रहा है।
परिक्रमा का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि यह परिक्रमा पूरी करने वाले व्यक्ति को 84 लाख योनियों के जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है।
अयोध्या समेत पांच जिलों को जोड़ती है परिक्रमा
84 कोसी परिक्रमा हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा से बस्ती जिले के मखौड़ा धाम से शुरू होती है। बस्ती के साथ अंबेडकर नगर, अयोध्या, बाराबंकी व गोंडा की 265 किलोमीटर की यात्रा तय कर फिर मखौड़ा में पूरी होती है। यह पथ पूरा होने पर श्रद्धालुओं को सुविधा तो मिलेगी ही, साथ ही इन पांच जिलों के विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा।
सियासी मायने…सपा सरकार ने लगाया था प्रतिबंध
वर्ष 2013 में समाजवादी पार्टी की सरकार में 84 कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध लगा दिया था। विश्व हिंदू परिषद व इसके सहयोगी संगठनों ने इसके विरोध में 25 दिन तक प्रदर्शन कर गिरफ्तारियां दीं। अब परिक्रमा पथ निर्माण के साथ ही संबंधित जिलों में लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि किस तरह राममंदिर आंदोलन में बाधाएं डाली गईं और 84 कोसी परिक्रमा को रोकने का प्रयास किया।