नई दिल्ली/भोपाल 02 जून।मध्यप्रदेश के मंदसौर में बीते वर्ष जून में हुए किसान गोलीकांड के एक वर्ष पूरा होने पर किसानों के 10 जून तक ‘गांव बंद’ का असर दिखना शुरू हो गया है।
एक साल पहले हुई पुलिस फायरिंग में सात किसानों की मौत हो गई थी। यह बंद केवल मध्यप्रदेश तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश के कई अन्य राज्यों के किसान भी अब इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।आज आंदोलन के दूसरे दिन भी यह प्रदर्शन जारी है।सब्जियों की बढ़ते दामों पर दिल्ली की ओखला मंडी के सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते सब्जियों की कीमतों में उछाल आया है।
लुधियाना में भी किसानों ने सड़क पर सब्जियां गिराते हुए प्रदर्शन किया। बंद के पहले दिन महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों के किसान विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे थे और इसका सीधा असर दूध और सब्जियों की सप्लाई पर पड़ा और कुछ जगहों पर इनकी कीमतों में बढ़ोतरी भी देखी गई।यह हड़ताल राष्ट्रीय किसान महासभा द्वारा बुलाई गई है।
गांव बंद के कारण महाराष्ट्र के नासिक ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी में सब्जियां तो जरूर पहुंची लेकिन उनकी मात्रा कम थी।इसके अलावा इसका सबसे बड़ा असर देश के सबसे बड़े प्याज के होलसेल मार्केट पर भी पड़ा, यहां गुरुवार तक रोज की तरह 1500 क्विंटल प्याज पहुंचती थी लेकिन हड़ताल के चलते शुक्रवार को केवल 300 क्विंटल प्याज ही पहुंच सकी।
इसके अलावा राजस्थान के किसानों ने भी बंद के कारण प्रदर्शन किया और उन ट्रकों को रोका जिनके माध्यम से दूध और सब्जियों की सप्लाई हो रही थी। इस प्रदर्शन में श्रीगंगानगर, झुंझुनू, जयपुर और सिकर के किसान शामिल थे।यही नहीं गुस्साए किसानों ने सड़कों और हाईवे पर दूध फेंक कर भी अपना विरोध प्रदर्शन किया।
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