नई दिल्ली 24 जुलाई।केन्द्र सरकार भीड़ की हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए जरूरत पड़ने पर एक कानून लायेगी।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में शून्यकाल में इस मुद्दे से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए फिर कहा कि सरकार ऐसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और केन्द्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का फैसला किया है। गृहमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक समूह इस समिति की रिपोर्ट पर विचार करेगा।
उन्होने कहा कि..यह हाईलेवल कमेटी अपनी रिकमनडेशन देंगी। उसके बाद ग्रुप ऑफ मिनिस्टर जो हमारी चेयरमैन के पक्ष में बना है। जिसमें कि मिनिस्टर एक्सट्रनल अफेयर, मिनिस्टर रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे, मिनिस्टर लॉ एंड जस्टिस, मिनिस्टर ऑफ सोशल जस्टिस इंमपावरमेंट उस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के मेंबर होंगे जो कि हाई लेवल कमेटी के रिकमनडेशन पर विचार करने के बाद यह अपना फैसला करेंगे कि लिचिंग के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने के लिए हमें क्या-क्या कदम उठाना चाहिए..।
इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि भीड़ की हिंसा की घटनाओं से देश में खतरनाक स्थिति बन रही है और कुछ स्वार्थी लोग इसका फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की। कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने अलवर में भीड़ की हिंसा की घटना पर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया और मामले की जांच उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में कराने की मांग की।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मोहम्म्द सलीम ने कहा कि दिन प्रतिदिन बढ़ रही ऐसी घटनाएं बेहद खतरनाक हैं। ए.आई.ए.डी.एम.के. सदस्य एम. तंबीदुरई ने इस समस्या के असल कारणों का पता लगाने और ऐसी घटनाओं से निपटने के उपाय ढूंढने की मांग की।
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