छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने साल 2020 में दवा, लैब सामग्री और उपकरण खरीदी में 2 करोड़ 65 लाख 29 हजार 296 रुपए की अनियमितता के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने कोरोना काल के दौरान साल 2020 में दवा और उपकरणों की खरीदी में करोड़ों के घोटाले के मामले में तत्कालीन एडिशनल डायरेक्टर डॉ. निर्मल वर्मा को सस्पेंड कर दिया है। मामले की दो साल से जांच चल रही थी। उन्हें इस केस में दोषी पाया गया था। फिलहाल वर्मा पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में पीएसएम विभाग के एचओडी हैं। निलंबन के दौरान उन्हें मेडिकल कॉलेज कांकेर में अटैच किया गया है।
जांच समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि इन खरीदारियों में करीब 2.65 करोड़ रुपये की अनियमितताएं पाई गईं है। चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से गठित जांच समिति इस मामले की गहन जांच कर रही थी और पाया कि उस दौरान चिकित्सा शिक्षा संचालक के रूप में संविदा पर कार्यरत डॉ. एसएल आदिले और वित्तीय अधिकार रखने वाले डॉ. निर्मल वर्मा ने नियमों का घोर उल्लंघन किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में डॉ. वर्मा को दोषी करार दिया और उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
कोरोना खत्म होने के बाद इस मामले की शिकायत की गई थी। इस आधार पर चिकित्सा शिक्षा विभाग स्तर पर गठित की गई कमेटी ने मामले की जांच की तो करीब 2.65 करोड़ की अनियमितता उजागर हुआ था। मामले में तात्कालीन एडीशनल डायरेक्टर डॉ. निर्मल वर्मा को दोषी पाया गया। उस दौरान चिकित्सा शिक्षा संचालक के रूप में संविदा आधार पर डॉ. एसएल आदिले कार्यरत थे और वित्तीय अधिकार डॉ.वर्मा के पास थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में उन्हें दोषी माना था, जिसके आधार पर कार्यवाही की अनुशंसा की गई थी, हालांकि उस दौरान मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। कुछ समय पहले यह मामला दोबारा चर्चा में आया और शासन ने डा. वर्मा को निलंबित कर दिया है।
शासन के नियमानुसार एक लाख की ज्यादा से खरीदी टेंडर से की जाती है, लेकिन डॉ. वर्मा तब डीडीओ भी थे। उन्होंने 2 करोड़ 65 लाख 29 हजार 296 रुपए के क्रय आदेश कोटेशन के आधार पर किया। जांच कमेटी ने इसे घोर वित्तीय उल्लंघन माना था। सस्पेंशन आर्डर में भी खरीदी में घोर वित्तीय अनियमितताएं का उल्लेख है।