कर्नाटक पुलिस ने बेंगलुरु में इंफोसिस (INFOSYS) के को-फाउंडर सेनापति क्रिस गोपालकृष्णन और आईआईएससी के पूर्व निदेशक बलराम और 16 अन्य के खिलाफ SC/ST अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
यह मामला 71वें सिटी सिविल एंड सेशन कोर्ट (सीसीएच) के निर्देश के आधार पर सदाशिव नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था।
क्या है IISC के फैक्लटी मेंबर का आरोप?
शिकायतकर्ता, दुर्गप्पा, जो आदिवासी बोवी समुदाय से है, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में सेंटर फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में एक फैकल्टी मेंबर थे।
उन्होंने दावा किया कि 2014 में उन्हें हनी ट्रैप मामले में झूठा फंसाया गया और बाद में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उन्हें गाली और धमकियां दी गईं।
इन लोगों के नाम भी आए सामने
मामले में अन्य व्यक्ति गोविंदन रंगराजन, श्रीधर वारियर, संध्या विश्वेश्वरैह, हरि केवीएस, दासप्पा, बलराम पी, हेमलता मिशी, चट्टोपाध्याय के, प्रदीप डी सावकर और मनोहरन के खिलाफ भी केस दर्ज है।
2007 से 2011 तक इंफोसिस के डायरेक्टर थे
इंफोसिस की स्थापना पुणे में की गई थी। फिलहाल इसका मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है। गोपालकृष्णन ने 2007 से 2011 तक इंफोसिस के सीईओ और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया। क्रिस गोपालकृष्णन 2011 से 2014 तक इस कंपनी के उपाध्यक्ष और 2007 से 2011 तक चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर रहे थे। जनवरी 2011 में भारत सरकार ने गोपालकृष्णन को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था। क्रिस गोपालकृष्णन ने IIT मद्रास से फिजिक्स और कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री ली है। इसके अलावा गोपालकृष्णन इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स (INAE) के फेलो हैं।
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